पढ़ाई के साथ जीवन अनुभव को लिखना जीवन की सार्थकता है-डॉ नसीमा पठान

हिंदी दिवस के उपलक्ष में संगमेश्वर महाविद्यालय सोलापुर में प्रसिद्ध लेखिका कवित्री डॉ नसीम पठान जी का व्याख्यान रखा गया आरंभ में संगमेश्वर गीत से कार्यक्रम का आरंभ हुआ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के करकमलो द्वारा  दीपक दीपप्रज्वलन  किया गया प्रस्ताविक  हिंदी विभाग प्रमुख डॉ संघप्रकाश दुड्डे ने किया अतिथि का परिचय डॉ दादा साहब खांडेकर ने किया  आरंभ में प्रधानाचार्य डॉ राजेंद्र देसाई के करकमलों  द्वारा प्रमुख अतिथि डॉ नसीम पठान का सम्मान किया गया डॉ राजेंद्र देसाई का सम्मान हिंदी विभाग प्रमुख डॉ संघ प्रकाश दुड्डे के करकमलों  द्वारा किया गया उप प्रधानाचार्य डॉ सुहास  पुजारी का सम्मान डॉ दादा साहब खांडेकर जी के कर कमल द्वारा संपन्न किया गया इस वक्त गायत्री मैत्रे  तथा विमल शर्मा ,संघमित्रा इन छात्रों ने हिंदी दिवस के उपलक्ष में छात्रों के मन में हिंदी के प्रति जो भाव होता है उन भावों को स्पष्ट करने का सफल प्रयास किया 
इस वक्त छात्रों को मार्गदर्शन करते समय डॉ नसीम पठान जी ने कहा कि" संगमेश्वर महाविद्यालय मेरे लिए प्रेरणा का स्थान है विशेष करके मैं इस महाविद्यालय की छात्रा हूं और मैं इस महाविद्यालय की हमेशा के लिए अरुण में रहना चाहूंगी उन्होंने कहा कि मैं b1 इस क्लास में नंबर वन के बेंच पर मैं बैठा करती थी और आज तक में नंबर वन पर ही बैठी हूं यह आदत मुझे संगमेश्वर महाविद्यालय ने डाल दी है उन्होंने अपने जीवन काल के संगमेश्वर महाविद्यालय में बीते हुए अपने अनमोल यादगार पलों को छात्रों के सामने रखा उन्होंने तमन्ना प्रकट की कि वह अपने जीवन के हर पल को जीवन के हर लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए लगन निष्ठा के साथ गुरुजनों का आदर सम्मान करते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए उन्होंने डॉ भगवान दास तिवारी ,पोटाबत्ती, टिकले,डॉ इरेश स्वामी जी को भी याद किया जिन्होंने हिंदी की परंपरा को आगे बढ़ने का काम किया है डॉ नसीम पठान जी ने अपने भाषण में संत कबीर, तुलसीदास ,सूरदास ,मीराबाई ,जयशंकर प्रसाद, हरिवंश राय बच्चन, कमलेश्वर ,अमृता प्रीतम ,प्रेमचंद न जाने जिन-जिन लोगों ने हिंदी साहित्य को आगे बढ़ने का प्रयास किया उनके प्रति कृतज्ञ का भाव उन्होंने प्रकट किया साथ ही साथ हिंदी साहित्य की परंपरा को आगे ले जाने वाले सभी महानुभावों के प्रति कृतज्ञ का भाव प्रकट किया वे चाहते थे की हिंदी हमारी जनभाषा बने हिंदी हमारे राष्ट्रभाषा है इसका मान सम्मान होना बहुत ही आवश्यक है साथ ही साथ हिंदी के प्रति अपना दायित्व बढ़ाने के लिए हमें एक साथ प्रयास करना जरूरी है अमृता प्रीतम, गुलजार, नौशाद ,साहिर लुधियानवी आदि के गजलों द्वारा आदि के साहित्य में जीवन के प्रति गहरा अनुभव कठू जीवन निष्ठा जीवन के प्रति आस्था दिखाई देता है जीवन सफल बनाने के लिए पढ़ना जरूरी है जीवन की नया पर करनी है तो साहित्यकारों का आत्मा अनुभव हमें कॉन्टैक्ट कर लेना बहुत ही आवश्यक है जीवन की सच्चाई जीवन का संदेश हमें साहित्य से प्राप्त होता है जीवन एक आदर्श महान संकल्प के द्वारा साहित्यकारों का संघर्ष जीवन शैली उनकी विविधताओं कविताओं गजलों में हमें दिखाई देता है अमृता प्रीतम का वैभव उनके प्रेम काव्य में उनके साहित्य के द्वारा हमें प्रकट होता है जो जीने के लिए मजबूर कर देता है उन्होंने कहा कि अमृता प्रीतम का साहित्य हर एक को पढ़ना जरूरी है क्योंकि उनका साहित्य जीता जागता एक अनुभव है और उसे अनुभव के द्वारा हमें अपना जीवन सार्थक करने के लिए एक बल मिलेगा इसलिए छात्रों की जिम्मेदारी बढ़ती है कि हमें आज के दौर में इन सारे महानुभावों को पढ़ाना एक आवश्यक अंग बन जाता है प्रेमचंद के बारे में भी उन्होंने अपनी बात रखी जो प्रेमचंद अपने जीवन के हर लम्हों को हमारे समझ रखता है अमीर से लेकर गरीब का जीवन साहित्य मिलने का प्रयास प्रेमचंद जी ने किया है देहाती जीवन और देहाती जीवन की संस्कृति सभ्यता भारतीय परंपरा हमें साहित्य के द्वारा दिखाई देती है उसे पढ़ना बहुत ही आवश्यक है इसलिए गजल हो काव्य हो कविता हो कविता का अन्य संदर्भ हो उसे ढूंढना समझना और उसके अनुसार अनुपालन करना बहुत ही आवश्यक है इस प्रकार के अनमोल विचार उन्होंने अपने इस प्रदीप व्याख्यान में प्रकट किया
अध्यक्ष भाषण में उप प्रधानाचार्य डॉ सुहास पुजारी ने कहा कि हिंदी मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भाषा हर एक को अपने मातृभाषा में बोलने का अधिकार है मातृभाषा हमें जोड़ती है हर एक दूसरे भाषा के साथ तादात में स्थापित करने के लिए जिस प्रकार से स्वामी विवेकानंद जी ने अपने मित्र से अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हुए औरों की भाषा का सम्मान किया था इस बात को हमें आगे ले जाने के लिए हर भाषा का सौंदर्य हर भाषा की मिठास अलग है उसे भाषा की मिठास को आगे ले जाने के लिए हमें तत्पर रहना चाहिए भाषा की सफलता भाषा का वैभव बोलने में आता है हमें अपनी सभ्यता संस्कृति भाषा के माध्यम से जीवित रख सकते हैं उसे भाषा को आगे बढ़ने का समय आ चुका है मैं हिंदी विभाग को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने आज एक अच्छा व्याख्यान का आयोजन किया जिसमें डॉक्टर नसीम पठान जी ने हिंदी के बारे में बहुत सारे साहित्यकारों के जीवन अंग को जीवन की शैली को यथार्थ सभ्यता के साथ हमारे सामने रखने का प्रयास किया है इसलिए मैं आप सभी के प्रति कृतज्ञ का भाव प्रकट करता हूं जीवन की सच्चाई अगर किस्म है तो वह भाषा है भाषा सौंदर्य प्रदान करती है जीवन को आकार देने का काम करती है इस प्रकार के अनमोल विचार उन्होंने रखें/

कार्यक्रम का सूत्रसंचालन सबा शेख ने किया और आभार प्रकटन मुकेश राठौड  ने किया /इस वक्त राष्ट्रवाणी भित्ति पत्रिका का विमोचन भी डॉक्टर नसीम पठान जी के करकमलों  द्वारा किया गया/  उस वक्त भी उन्होंने अपने जीवन काल की कुछ यादें साझा किया/ इस वक्त डॉ सारी पुत्र तुपेरे ,डॉ सतीश पनहालकर, डॉ संतोष मेटकरी ,डॉ शाहानूर शेख, प्रा. संतोष पवार आदि प्राध्यापक गण बहुत संख्या से उपस्थित थे इस कार्यक्रम का आयोजन हिंदी विभाग द्वारा साहित्य मंडल के तत्वावधान में किया गया इस कार्यक्रम को सफल बनाने में हिंदी विभाग  भाग I, II, III के छात्रों ने परिश्रम किया/

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