ब्राह्मी लिपि अर्थ और स्वरूप-डॉ संघप्रकाश दुड्डे
ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन भारतीय लिपि है जिसका प्रयोग विभिन्न भाषाओं के लेखन के लिए किया जाता था। यह लिपि भाषाओं के ध्वनियों को लिखने के लिए बनाई गई थी, जिससे भाषाओं के शब्द और ध्वनियों की प्रतिनिधिता हो सके। ब्राह्मी लिपि का उद्गम विशेषकर वेदों के लिए किया गया था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग बहुत सी अन्य भाषाओं के लिए भी होने लगा।
ब्राह्मी लिपि का स्वरूप उस समय के लिए आधारित था जब यह प्रयुक्त होता था। यह लिपि बायाँ से दायाँ दिशा में लिखी जाती थी और उसमें अक्षरों की संख्या ४६ होती थी, जिन्हें 'वर्ण' कहा जाता था। यह वर्ण व्यंजनों (क, ख, ग, च, ज, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह) और स्वरों (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ) का समावेश करते थे।
ब्राह्मी लिपि के वर्ण केवल स्वर और व्यंजनों के नियमित समावेश के साथ-साथ संबंधित लय और मात्राओं को प्रकट करने के लिए उपयोग होते थे। इस तरह, यह लिपि विभिन्न भाषाओं के लिखने के लिए समर्थ थी और उसने ब्राह्मण पाठ्यक्रम, वेद, उपनिषद, पुराण, ग्रंथ और साहित्य को उत्कृष्ट रूप से संरक्षित किया।
ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन भारतीय लिपि है जिसका प्रयोग विभिन्न भाषाओं के लिखने में होता था। यह लिपि वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक काम आई थी। ब्राह्मी लिपि का स्वरूप सरल होता था और यह दृश्यता और आकर्षण में कम होती थी, जिसके कारण इसे पत्थर, शिलालेखों, लकड़ी आदि पर लिखने में आसानी होती थी।
ब्राह्मी लिपि में स्वर और व्यंजन के लिए अक्षर थे, जो बाएं से दाएं ओर लिखे जाते थे। इसमें स्वर और व्यंजन को पहचानने के लिए विशेष चिन्हों का प्रयोग किया जाता था। इस लिपि में बहुत कम संख्या में विशिष्ट अक्षर होते थे, लेकिन वे सामान्य रूप से आवश्यक भाषाओं को प्रकट करने के लिए पर्याप्त थे।
ब्राह्मी लिपि का विकास बाद में विभिन्न लिपियों के रूप में हुआ, जैसे कि देवनागरी, गुरुमुखी, तमिल, आदि। इन नए लिपियों में ब्राह्मी लिपि के मूल अक्षरों का प्रयोग किया गया और उन्हें विभिन्न भाषाओं की आवश्यकताओं के अनुसार बदल दिया गया।
समर्थनिकट, ब्राह्मी लिपि भारतीय लिपियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली एक प्रमुख लिपि थी, जिसने विभिन्न भाषाओं के लेखन को संभावना दी और भारतीय साहित्य और संस्कृति के विकास में योगदान किया।
डॉ संघप्रकाश दुड्डे
हिंदी विभाग प्रमुख
संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
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