हिंदी साहित्य का काल विभाजन-डॉ संघप्रकाश दुड्डे

हिंदी साहित्य को आमतौर पर युगों में विभाजित किया जाता है, जो निम्नलिखित है:

  1. आदिकाल (संवत् १०९६-१२००): इस काल में वैदिक और प्राचीन भाषाओं में लिखित काव्य एवं धार्मिक ग्रंथों की रचना हुई थी।

  2. भक्तिकाल (संवत् १२००-१७००): इस काल में भक्ति आंदोलन के परिणामस्वरूप धार्मिक लेखन का प्रादुर्भाव हुआ था, जैसे की संत कवियों की रचनाएँ।

  3. रीतिकाल (संवत् १७००-१८७०): इस काल में प्रेमकाव्य, श्रृंगारिक काव्य और किस्से आदि की रचना हुई थी।

  4. आधुनिक काल (संवत् १८७०-वर्तमान): इस काल में विभिन्न प्रयोगशील लेखकों ने नई विचारधाराओं की ओर बढ़कर नया साहित्यिक युग आरंभ किया।

यह विभाजन शैली और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य के आधार पर होता है, जिसमें युगों की सीमाएँ स्पष्ट होती हैं।

हिंदी साहित्य को आमतौर पर युगों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें निम्नलिखित तीन विभागों में विभाजित किया गया है:

  1. आदिकाल : इस काल में मुख्य रूप से मनुस्मृति और रामायण जैसी धार्मिक और ऐतिहासिक रचनाएँ लिखी गईं।

  2. भक्तिकाल: इस काल में संतों ने भगवान की भक्ति की गाथाएँ और पद लिखे। सूरदास, कबीर और तुलसीदास जैसे महान संत-कवि इस काल के प्रमुख रचनाकार थे।

  3. आधुनिक काल: इस काल में हिंदी साहित्य का नया दौर आया, जिसमें विभिन्न प्रकार की साहित्यिक धाराएँ उत्पन्न हुईं। प्रेमचंद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद आदि इस काल के प्रमुख लेखक थे।

ये तीनों काल हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण विभाग हैं, जिनमें विभिन्न शैलियों और युगों की रचनाएँ शामिल हैं।

डॉ संघप्रकाश दुड्डे

हिंदी विभाग प्रमुख

संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर


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