भारतीय लिपि का उद्गम और विकास-डॉ संघप्रकाश दुड्डे

भारतीय लिपि का उद्गम और विकास भारतीय भाषाओं की लिखावट की प्रक्रिया का परिणाम है। इसका विकास विभिन्न युगों में हुआ है और यह लिपि विभिन्न क्षेत्रों और समयों में विभिन्न रूपों में विकसित हुआ है।

भारतीय लिपियों का एक प्रमुख विशेषता स्वर और व्यंजन को अलग-अलग करने की क्षमता है, जिससे वे अक्षरों की विविधता को प्रकट कर सकते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण भारतीय लिपियों के बारे में जानकारी दी गई है:

  1. ब्राह्मी लिपि: ब्राह्मी लिपि को भारतीय लिपियों की मातृलिपि माना जाता है। यह लिपि भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में प्राचीनकाल में प्रयुक्त होती थी।

  2. देवनागरी लिपि: देवनागरी लिपि संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए प्रमुख लिपि है। यह लिपि विशेष रूप से हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली, और बंगाली आदि में प्रयुक्त होती है।

  3. तमिल लिपि: तमिल लिपि दक्षिण भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होती है, और विशेष रूप से तमिल भाषा के लिए महत्वपूर्ण है।

  4. बंगली लिपि: यह लिपि विशेष रूप से बंगाली भाषा में प्रयुक्त होती है और उत्तर भारतीय भाषाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी पाई जाती है।

इनमें से कुछ ही उदाहरण हैं, और भारतीय उपमहाद्वीप में और भी अनेक प्रकार की लिपियाँ प्रयुक्त होती हैं जो विभिन्न भाषाओं के लिए उपयुक्त होती हैं।

भारतीय लिपि का उद्गम और विकास बहुत समृद्ध और रिच इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। भारतीय लिपि का विकास क्षेत्र, समय और स्थान के साथ विभिन्न भागों में हुआ है। यह लिपि विभिन्न भाषाओं और स्क्रिप्ट्स में प्रदर्शित होता है, जैसे कि देवनागरी, तमिल, बंगाली, गुरमुखी, आदि।

विभिन्न कालों में विभिन्न भागों में भारतीय लिपि के विकास का विवरण निम्नलिखित है:

  1. हड़प्पा सभ्यता (3300–1300 ईसा पूर्व): हड़प्पा सभ्यता के समय में सिंधु-सरस्वती क्षेत्र में मोहेनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता में तस्करों द्वारा लिखित लेखन के प्रमाण मिलते हैं।

  2. वैदिक काल (1500–500 ईसा पूर्व): सृष्टि और धर्म के प्रति ज्ञान को सुरक्षित रखने के लिए संस्कृत भाषा का उपयोग किया गया।

  3. आर्थिक काल (200 ईसा पूर्व - 700 ईसा): इस काल में भाषाओं की एकजुटता को बढ़ावा मिला और विभिन्न प्रकार के लिपियों का विकास हुआ, जैसे कि ब्राह्मी, कारोष्ठी, गुरुमुखी, नागरी, आदि।

  4. मध्यकालीन काल (700–1800 ईसा): भाषाओं का विकास और लिपियों के प्रयोग में वृद्धि हुई, जैसे कि देवनागरी लिपि का प्रयोग संस्कृत में हुआ।

  5. मुग़ल और कल्हुकी काल (1526–1857): उर्दू कैलिग्राफी में विकास हुआ, जो नस्ख लिपि का हिस्सा है।

  6. आधुनिक काल (19वीं शताब्दी के बाद): आधुनिक भारत में विभिन्न भाषाओं के लिए विभिन्न लिपियों का प्रयोग होता है, जैसे कि देवनागरी, तमिल, गुरुमुखी, आदि।

यह संक्षिप्त जानकारी भारतीय लिपि के उद्गम और विकास के बारे में है।


डॉ संघप्रकाश दुड्डे

हिंदी विभाग प्रमुख

संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर

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