श्रव्य माध्यम स्वरूप और विशेषताएं -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

श्रव्य माध्यम (Auditory Media) एक ऐसा संचार माध्यम है जिसमें संदेश और सूचना को श्रवण (hearing) द्वारा प्रसारित किया जाता है। इस माध्यम के माध्यम से लोग संदेशों और सूचनाओं को सुनते हैं और उन्हें समझते हैं। श्रव्य माध्यम की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. सुनाई जाने वाली भाषा: श्रव्य माध्यम में संदेश और सूचना आवाज के माध्यम से पहुंचाई जाती हैं, जिससे इसका मुख्य तत्व सुनाई जाने वाली भाषा होती है। इसलिए श्रव्य माध्यम में व्यक्ति को भाषा के अलावा और किसी भी तरह की उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती।

  2. व्यक्ति के लिए सुविधाजनक: श्रव्य माध्यम विशेष रूप से उन लोगों के लिए सुविधाजनक है जो विचारों और भावनाओं को सुनकर समझते हैं। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो विचारों और भावनाओं को पढ़ने या देखने में कठिनाई महसूस करते हैं।

  3. लाइव एवं इंटरएक्टिव: श्रव्य माध्यम लाइव एवं इंटरएक्टिव होता है। रेडियो, पॉडकास्ट, संवाद, वॉइस कॉल, लाइव स्ट्रीमिंग इत्यादि के माध्यम से लोग वार्तालाप कर सकते हैं और लाइव प्रसारण सुन सकते हैं। इससे संदेशों को अपडेट करना और संवाद करना अधिक सुविधाजनक होता है।

  4. सुनने में शानदार अनुभव: श्रव्य माध्यम से संदेश और सूचना को सुनने में लोगों को शानदार अनुभव मिलता है। व्यक्ति आवाज के माध्यम से विभिन्न तरह की भावनाएं, आवज़, भाषा, और शैलियों को समझ सकते हैं, जिससे संदेश को और ज्यादा सार्थक बनाया जा सकता है।

  5. साहित्यिकता और संगीत: श्रव्य माध्यम में संदेश और सूचना को साहित्यिकता और संगीत के माध्यम से भी प्रसारित किया जा सकता है। इससे संदेश को रूचिकर बनाने और लोगों को उसे यादगार बनाने का मौका मिलता है।

यहां दिए गए विशेषताएं श्रव्य माध्यम को विभिन्न और प्रभावी बनाती हैं और इसे लोगों के बीच जनसंचार के लिए एक उत्कृष्ट माध्यम बनाती हैं।

डॉ संघप्रकाश दुड्डे

हिंदी विभाग प्रमुख

संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर


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