जन संचार का स्वरूप -डॉ संघप्रकाश दुड्डे

जन संचार का स्वरूप विभिन्न तत्वों से मिलकर बनता है जो जनता के बीच संचार के माध्यम से संवाद को संभव बनाते हैं। जन संचार का स्वरूप निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित होता है:

  1. संदेश और सूचना: जन संचार का प्रमुख उद्देश्य संदेशों और सूचनाओं को जनता के पास पहुंचाना होता है। संदेश और सूचनाएं समाज में ज्ञान और जागरूकता बढ़ाती हैं और लोगों को अपने विकास और समृद्धि के लिए जरूरी जानकारी प्राप्त करने में मदद करती हैं।

  2. संवाद: जन संचार एक संवादात्मक प्रक्रिया है जिसमें संदेश भेजने और प्राप्त करने के बीच एक दोस्ताना संवाद होता है। यह जनता को विचारों, विचारधारा, और मूल्यों को साझा करने का एक माध्यम बनता है और इसके माध्यम से लोग एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकते हैं।

  3. साधन: जन संचार के लिए विभिन्न साधन होते हैं जैसे अख़बार, टीवी, रेडियो, इंटरनेट, सोशल मीडिया, पोस्टर, विज्ञापन, पंडाल, सेमिनार, कार्यशाला, सम्मेलन आदि। ये साधन संचार के विभिन्न आयामों में जनता को सूचना और संदेश पहुंचाने में मदद करते हैं।

  4. प्राधिकरण: जन संचार के लिए प्राधिकरण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। संचार के लिए सही साधनों का चयन, संदेश की प्राधिकरण करने वाले व्यक्ति या संगठन की प्राधिकरण का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

जन संचार एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया है जो समाज में ज्ञान, सूचना, और विचारों का वितरण करती है और जनता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। यह संचार नागरिकों के बीच सम्बन्ध बनाती है और समाज के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है/


डॉ संघप्रकाश दुड्डे

हिंदी विभाग प्रमुख


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