रेडियो का विकास-डॉ संघप्रकाश दुड्डे
रेडियो का विकास विज्ञान और तकनीक में अद्भुत प्रगति के साथ संबंधित है। रेडियो का आविष्कार और विकास निम्नलिखित मुख्य चरणों में हुआ है:
रेडियो के आविष्कार: रेडियो का आविष्कार बेहद महत्वपूर्ण है। 19वीं सदी के अंत में और 20वीं सदी के आरंभ में, विज्ञानियों ने विद्युत और विक्रेता प्रसारण के माध्यम से बिजली के धारा-विद्युत को संदेशों के रूप में प्रयोग करने का प्रयास किया। सिरफिंट ब्रान्को की तरफ से 1896 में प्रथम संचार दरबार दिया गया था, जिसे रेडियो ब्रांको ने विकसित किया था। हालांकि, वायरलेस रेडियो का अधिकांश विकास 20वीं सदी में हुआ।
रेडियो के वायरलेस प्रसारण का उद्भव: 1901 में इटाली के वैद्युत अभियंता गुगलियल्मो मार्कोनी ने वायरलेस टेलीग्राफ के माध्यम से पहला रेडियो संचार किया था। उनके प्रयोगों और विकास के बाद रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ।
रेडियो प्रसारण की व्यापकता: 20वीं सदी के प्रारंभ में, रेडियो प्रसारण अधिकतर रेडियो स्टेशनों और स्कूलों में प्रयोग के लिए होती थी। धीरे-धीरे रेडियो ने अपने प्रसारण क्षेत्र को विस्तृत किया और लोगों को अन्य स्थानों से संचार की जानकारी प्राप्त करने का एक नया माध्यम प्रदान किया।
ट्रांजिस्टर और फिर एफ़एम रेडियो: 20वीं सदी के दशकों में ट्रांजिस्टर और फिर एफ़एम रेडियो का आविष्कार हुआ, जिससे रेडियो की तकनीकी उन्नति में सुधार हुआ और रेडियो की गुणवत्ता और प्रसारण क्षमता में सुधार हुआ।
रेडियो का दिग्गज: 20वीं सदी में रेडियो एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया, जिससे समाचार, संगीत, टॉक शो, कॉमेडी, कल्चरल प्रोग्राम्स, आदि का प्रसारण लोगों तक पहुंचाना आरंभ हुआ।
सैटेलाइट रेडियो: दिनांक 1 अगस्त 1975 को भारत ने अपना पहला देशी सैटेलाइट रेडियो स्टेशन "भास्कर" शुरू किया, जिससे देशभर में सैटेलाइट रेडियो के प्रसारण का स
रेडियो का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक दिलचस्प यात्रा है। रेडियो के विकास की शुरुआत एक संज्ञानिक प्रयोग से हुई, और फिर उसे सार्वजनिक संचार माध्यम के रूप में उपयोग किया जाने लगा। यहां कुछ महत्वपूर्ण मील के पत्थर दिए गए हैं जिनसे रेडियो का विकास समझा जा सकता है:
संज्ञानिक अनुसंधान: रेडियो के विकास की शुरुआत संज्ञानिक प्रयोगों से हुई। विद्वान और वैज्ञानिक निकोला टेस्ला, जोहन आर्मस्ट्रांग, गुगलिएल्मो मरकोनी जैसे महान वैज्ञानिकों ने रेडियो तकनीक के विकास में अहम योगदान दिया।
रेडियो का सार्वजनिक संचार माध्यम के रूप में उपयोग: 20वीं सदी के प्रारंभ में, रेडियो को सार्वजनिक संचार माध्यम के रूप में उपयोग किया जाने लगा। पहले, इसे वाणी संचार का माध्यम माना जाता था, लेकिन समय के साथ विज्ञान के उन्नतीकरण ने रेडियो को एक आंतरिक और अंतरिक्ष संचार का प्रमुख माध्यम बना दिया।
AM और FM रेडियो: रेडियो के विकास के साथ, दो प्रमुख रेडियो ब्रॉडकास्टिंग फॉर्मेट्स, AM (एम्प्लीट्यूड मॉड्यूलेशन) और FM (फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन) विकसित हुए। AM रेडियो संगीत के प्रसारण के लिए प्रसिद्ध हुआ, जबकि FM रेडियो बेहतर ध्वनि गुणवत्ता के लिए उपयुक्त था।
रेडियो के ट्रांजिस्टरीकरण: 20वीं सदी के मध्य तक, रेडियो के उपकरण वायकुम ट्यूब्स का उपयोग किया जाता था, जो भारी थे और अधिक बिजली खपत करते थे। लेकिन ट्रांजिस्टर के आविष्कार ने रेडियो को और भी पोर्टेबल बना दिया और उनकी बिजली खपत को कम किया।
इंटरनेट रेडियो: वर्तमान में, इंटरनेट के उपयोग के साथ, रेडियो के नए आयाम खुल गए हैं। आजकल, लाइव ऑडियो स्ट्रीमिंग, पॉडकास्ट, और विभिन्न रेडियो स्टेशन ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिन्हें लोग इंटरनेट के माध्यम से सुन सकते हैं।
ये थे कुछ महत्वपूर्ण चरण जिनसे रेडियो का विकास हुवा है/ डॉ संघप्रकाश दुड्डे हिंदी विभाग प्रमुख, संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर
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