महात्मा बसवेश्वर जी का वचन साहित्य आज भी प्रासंगिक है-डॉ इरेश स्वामी
संगमेश्वर महाविद्यालय(स्वायत्त )सोलापुर में महात्मा बसवेश्वर की जयंती राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग समान संधी केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में22 अप्रेल 2023 को ऑनलाइन गूगल मीट पर आयोजित की गई थी/ प्रमुख अतिथि के रूप में डॉ इरेश स्वामी सोलापुर विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति तथा संगमेश्वर एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष के रूप में विराजमान डॉ स्वामी जी ने महात्मा बसवेश्वर जी का वचन साहित्य इस विषय पर अपनी बात रखी आरंभ में प्रधानाचार्य डॉ राजेंद्र देसाई जी ने डॉ इरेश स्वामी जी का शब्द सुमन द्वारा स्वागत किया/ बाद में समान संधी केंद्र के प्रमुख डॉ संघप्रकाश दुड्डे ने प्रास्ताविक में सामाजिक न्याय पर्व अभियान के अंतर्गत विविध उपक्रमों की जानकारी दी और प्रमुख अतिथि का परिचय करके दिया /
व्याख्यान के आरंभ में डॉ इरेश स्वामी ने अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट किया/ इस व्याख्यान में बुलाने के लिए आयोजक का भी आभार प्रकट किया/ उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि संगमेश्वर महाविद्यालय की बहुत प्राचीन परंपरा रही है "काय कवे कैलास" इस ब्रीदवाक्य को लेकर इस महाविद्यालय का नेतृत्व जो है आगे बढ़ रहा है महात्मा बसवेश्वर के विचारों की प्रासंगिकता आज भी है 12वीं शताब्दी में महात्मा बसवेश्वर जी ने सामाजिक क्रांति की और उन्होंने दिये हुवे वचन आज भी उनके विचार उतने ही प्रासंगिक है जितने बारहवीं शताब्दी में थे अनुभव कल्याण मंडप के द्वारा उन्होंने सामाजिक समता का संदेश दे दिया उन्होंने सत्य का प्रतिपादन किया अंधविश्वास का उन्होंने विरोध किया कर्मकांड मूर्ती पूजा-पाठ का भी उन्होंने विरोध किया साथ ही साथ नीति सत्य आचार धर्म इन बातों पर उन्होंने जोर दिया आचरण में ही पूरा सार है तत्वों का आचरण करना नीति नियमों का पालन करना मनुष्यता के साथ मनुष्यता का विकास करना एक दूसरे व्यक्ति को सहयोग करना अपना काम खुद करना अपने काम के प्रति निष्ठा रखना सत्य का सहारा लेते हुए चलना जीवन बड़ा अनमोल है मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है इसे समझना जीवन की सत्यता उसी में है जब तक हम चलते हैं ना जाने कल का भरोसा हमें है या नहीं फिर भी हम चलते रहते हैं अहंकार से भरे हुए हैं अहंकार दूर करना चाहिए मनुष्य जब तक अहंकारी है तब तक उसके दिल में समता का भाव स्थापित नहीं हो सकता जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण है जीवन के एक-एक पल का उपयोग हमें सत्कार्य करने के लिए करना चाहिए महात्मा बसवेश्वर के वचन मनुष्य को अहिंसा से दूर रखने के लिए प्रेरित करते हैं झूठ बोलने से दूर रहने के लिए प्रेरित करते हैं नशा पान करने से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं हमें इन अचार धर्मों का पालन करना ही चाहिए अच्छा इंसान बनना है तो हमें अच्छी आदतें लेकर चलना होगा जीवन सार्थक करना है तो जीवन की सच्चाई को समझना होगा छात्रों के जीवन में महात्मा बसवेश्वर के विचार आना आज की प्रासंगिकता है जब तक हम इन विचारों का पालन नहीं करेंगे तब तक हमें आगे बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं है जीवन बहुत ही अंधकार से भरा हुआ है इस जीवन को सार्थक करने के लिए महापुरुषों की जयंती मनानी चाहिए चाहे महापुरुष कोई भी हो हर महापुरुष हमें महानता का संदेश देते हैं महानता से भरने के लिए हमारा जीवन आनंदित करने के लिए दुख से पार होने के लिए सुख की नींद लेने के लिए हर महापुरुष अपने विचार अपने सिद्धांत देते हैं बस हमें उन सिद्धांतों का पालन करना चाहिए जब तक हम उन सिद्धांतों का पालन नहीं करेंगे केवल चर्चा करते बैठेंगे तो जीवन में हमें किसी भी प्रकार की सुख शांति नहीं मिलेगी सुख शांति चाहिए तो हमें सबसे पहले अहंकार मिटाना होगा अहंकार ही हमें इन सारी बाधाओं को आगे ले जाने के लिए मजबूर करता है जो व्यक्ति अहंकार छोड़ता है अपने आप को बहुत ही छोटा समझता है वास्तविकता से वह व्यक्ति महान होता है अपने व्याख्यान में डॉ इरेश स्वामी जी ने संत कबीर के दोहों का भी जिक्र कर दिया कल करे सो आज कर आज करे सो अब पल भर में प्रलय आएगा बहुरि करेगा कब जो काम आज करना है उसे आज ही करना है कल हम नहीं करेंगे कल का भी काम आज ही करना है कभी भी किसी भी समय पहले भूकंप हो सकता है इसलिए जीवन की सार्थकता हमें समझ लेना चाहिए यह जीवन नश्वर है मनुष्य का जीवन नश्वर है यह बात जो व्यक्ति समझता है उसके जीवन में एक प्रकाश की लहर एक जोत अपने आप में प्रकट होती है जीवन की सच्चाई उसे समझ में आती है जो व्यक्ति भटकता रहता है जो व्यक्ति जीवन से अपना होश खो बैठता है उसे कुछ प्राप्त नहीं होता उस पूर्ण जीने के लिए महापुरुषों के विचारों का आचरण करना बहुत ही आवश्यक है चाहे बुद्ध हो चाहे गांधी हो चाहे डॉ आंबेडकर हो चाहे अन्य कोई भी महापुरुष हो उनके विचार हमें क्रांति और क्रांति की बीज बोने के लिए एक नया आदर्श ले जाने के लिए जीवन की सफलता प्राप्त करने के लिए महापुरुषों के विचार आचरण में लेकर आना बहुत ही आवश्यक है हम समझते हैं कि मेरे पास सब कुछ है पैसा है धन है दौलत है लेकिन यह सब कुछ नहीं है इसे में सुख शांति की अनुभूति नहीं होती जो व्यक्ति निर्धन है वह भी सुख शांति से रह सकता है हमें हमें जीवन में निस्वार्थ भाव बनाकर जिना बहुत ही आवश्यक है जो कर्म हमें करना है वह सही करना है कर्म की पूजा ही हमें करनी चाहिए जब हमारे द्वार पर कोई भिक्षु भिक्षाटन के लिए आता है तो उसे हम चलो जाओ इस प्रकार से कहते हैं यह भाव हमारे मन में नहीं होना चाहिए जो भी द्वार पर आता है उसे भिक्षा के रूप में कुछ न कुछ देना ही चाहिए दान देने की प्रवृत्ति हमारे जीवन में आना बहुत ही आवश्यक है संग्रह की भावना संग्रह संग्रह जितना हम करेंगे वह एक ना एक दिन यहीं पर छोड़ के हमें जाना होगा इस बात को जो व्यक्ति बहुत ही अच्छी तरह से समझता है उसके जीवन का लक्ष्य उसे प्राप्त हो गया ऐसा हमें मालूम होता है जो व्यक्ति धन के पीछे पड़ा है संपत्ति के पीछे पड़ा है वह व्यक्ति प्राप्त करते करते करते ही एक न एक दिन अपना शरीर त्याग देता है लेकिन जाते समय अपने साथ में कुछ नहीं ले जाता इसे हमें समझ लेना चाहिए हम आते समय कुछ लेकर आते नहीं और जाते समय कुछ लेकर जाते नहीं यह भाव जब तक हम नहीं समझेंगे तब तक हमें इन विचारधाराओं को समझना बहुत ही मुश्किल होगा इसलिए जीवन की सार्थकता उसी में है अहंकार त्याग दो सत्य का राह पकड़ दो जीवन की नश्वरता समझो अच्छी पढ़ाई करो महापुरुषों का आदर्श अपने मन में अपने जीवन में उतारो यही जीवन का पद है यही बहुवचन है इस प्रकार से बचन बसों वचनों के द्वारा अपने विचारों से छात्रों को लाभान्वित करने का काम डॉक्टर स्वामी जी द्वारा किया गया इस व्याख्यान में डॉ शिवाजी मस्के, डॉ सारिपुत्र तुपेरे ,प्रा जावले मैडम,प्रा चिकटे आदि प्राध्यापक उपस्थित थे राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक, समान संधि केंद्र के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे कार्यक्रम का सुत्रसंचालन नंदिनी राठौड़ ने किया और आभार प्रकट डॉ अण्णा साहेब साखरे ने किया/
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