हिंदी भाषा और कौशल शिक्षा -डॉ प्रा धन्यकुमार बिराजदार

हिंदी भाषा और कौशल शिक्षा रोजगार के आधार प्रा डॉ धन्यकुमार बिराजदार 
संगमेश्वर महाविद्यालय हिंदी साहित्य मंडल द्वारा आयोजित व्याख्यान में प्राध्यापक डॉ धन्य कुमार बिराजदार जी ने श्रवण कौशल भाषण कौशल वाचन कौशल लेखन कौशल आदि पर अपनी बात रखी/
 आरंभ में हिंदी विभाग प्रमुख प्राध्यापक डॉ संघ प्रकाश दुड्डे ने प्रास्ताविक स्वागत किया/ परिचय प्राध्यापक डॉ गोरख पानगले ने किया/
  इस व्याख्यान में डॉ प्रा  धन्यकुमार बिराजदार ने श्रवण कौशल्य को लेकर अपनी बात छात्रों के सामने रखी सूत्रसंचालन करने के लिए श्रवण का महत्वपूर्ण स्थान होता है/ व्यक्तित्व विकास के लिए व्यक्तित्व का निर्माण करने के लिए भाषण कौशल की आवश्यकता पर उन्होंने अपनी बात रखी/ इसके लिए छात्रों को मूल साहित्य को पढ़ना जरूरी है /उसके बाद उस साहित्य का समीक्षात्मक साहित्य पढ़ना आवश्यक है/ मूल साहित्य पढ़ने के बाद विचार समृद्ध होते हैं /इसलिए समीक्षात्मक साहित्य पढ़ने में सुविधा होती है /इस प्रकार की विचारधारा उन्होंने छात्रों के सामने रखी /लेखन कौशल अपनाने वाले गुलजार ,हरिवंश राय बच्चन ,प्रेमचंद मन्नू भंडारी आदि साहित्यकारों को पढ़ना बहुत ही आवश्यक है/ लेखन कौशल से अर्थाजन  हो सकता है /जब तक हमारे जेब में पैसे हैं तब तक लोग हमें पूछते हैं /इस बात को भी उन्होंने छात्रों के सामने रखी/ जब तक हम 4 कौशल्य प्राप्त नहीं करेंगे तब तक हमें आगे बढ़ने का कोई मौका नहीं है/ इसलिए छात्रों को ब्लॉग लेखन करना चाहिए ,फीचर लेखन करना चाहिए ,पल्लवन लेखन करना चाहिए/ हिंदी भाषा से रोजगार का एक अवसर हमें प्राप्त हो सकता है/ इसलिए उन्होंने कहा हिंदी संस्कार की भाषा है /हिंदी ने आजादी दी है /हमारे पूर्वजों ने कलम चलाई है साहित्य का  काम साहित्यकार करते रहते हैं/ जैसे कि प्रेमचंद जी ने सोजे वतन के द्वारा भारतीय आजादी की जंग हमारे सामने रखी/ भारतीय जनमानस में जनचेतना निर्माण करने का उन्होंने काम किया /जैसे कि विज्ञापन हो" लिखते लिखते लव हो जाय" "बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर"  "जिंदगी के साथ जिंदगी के बाद" हिंदी को रोजगार के रूप में अपनाना बहुत ही आवश्यक है/ आज हिंदी रोजगार की भाषा बन गई है/ हिंदी जन-जन की भाषा प्रेरक भाषा विज्ञापन की भाषा वैश्वीकरण की भाषा बन गई है/ डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर  जी ने भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का रूप देखकर हमें बहुत ही बड़ा योगदान दिया है/ आज राजभाषा के रूप में राजभाषा अधिकारी के रूप में हर कार्यालय में हिंदी का बोलबाला चल रहा है? हर व्यक्ति इस प्रकार का काम कर सकता है /इसलिए गुलजार हो, बड़े-बड़े फिल्म डायरेक्टर हो, उन्होंने अपना योगदान देने का काम किया /अनुवाद हो पटकथा लेखन हो संवाद हो गीत लेखन हो यह चार कौशल प्राप्त करने के बाद हम अपना कौशल जो है आगे बढ़ा सकते हैं/ यह चुनौतीपूर्ण कार्य है /इसके लिए  हमारे पास विनम्रता का भाव  होना बहुत ही आवश्यक होता है/ फीचर लेखन के साथ-साथ यूट्यूब चैनल पर भी हम बहुत सारा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं /रेडियो टॉकी के रूप में भी हम अपना रोजगार अपना सकते हैं /अच्छे वक्ता हमें अच्छा रोजगार दे सकते हैं/ इसलिए प्रकाशन संस्था में हमें प्रूफ शोधक मुद्रण शोधन करने का काम भी हम कर सकते हैं/ यह भी सबसे बड़ा रोजगार का हमें अवश्य दे सकता है /क्रिकेट की कॉमेंट्री समालोचन करने में भी हमें बहुत बड़े पैसे मिल सकते हैं/ रोजगार का अवसर हमें प्राप्त हो सकता है/ इसके लिए हमें जरूरत है /कौशल को प्राप्त करने के यह कौशल जब तक हम हासिल नहीं करेंगे तब तक हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे/ इसलिए आज के छात्रों को आगे बढ़ने के लिए हिंदी को अपनाना होगा हिंदी साहित्य को पढ़ना होगा हिंदी साहित्य धारा को अपनाना होगा साहित्य लेखन करना होगा यह आज की आवश्यकता है/ हिंदी पुकार रही है हिंदी बुला रही है हमें उसके साथ सहयोग करना है /हम हिंदी  में सोचे हिंदी को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें /हिंदी आप को आगे ले जाएगी इस प्रकार की विचारधारा डॉक्टर प्रा धन्यकुमार बिराजदार जी ने रखी /
अंत में डॉ दादा साहब खांडेकर जी ने आभार प्रकट किया/ इस व्याख्यान में महाविद्यालय के कनिष्ठ और वरिष्ठ विभाग के छात्र बहुत संख्या में उपस्थित थे/ विभिन्न महाविद्यालय के अध्यापक छात्र छात्राएं भी इस व्याख्यान में उपस्थित थे/
सूत्रसंचालन प्राध्यापक डॉ सतीश पन्हालकर ने किया/

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