चवदार तालाब महाड़ 20 मार्च 2022
14 तालाब का संघर्ष 20 मार्च 1927 को बाबा साहब आंबेडकर जी ने मानव मुक्ति का आंदोलन आरंभ कर दिया था इस आंदोलन में पूरी शक्ति के साथ जनता का यह आंदोलन पिछड़े वर्गों का आंदोलन मनुष्यता का अधिकार प्राप्त करने का स्वयं को सिद्ध करने का यह सबसे बड़ा आंदोलन था पीने का पानी मैं मिलना पूरे भारतवर्ष के लिए यह बहुत बड़ा आंदोलन था इस आंदोलन में बाबा साहब आंबेडकर जी ने अपने अनुयायियों के साथ सफल बनाया आज मुझे इस चवदार तालाब पर जाने का अवसर प्राप्त हुआ बहाना था समता सैनिक दल के नौजवानों के साथ चवदार तालाब और क्रांति स्तंभ को देखने का चवदार तालाब आज भी सुरक्षित है उस घटना को याद दिला रहा है जिस समय बाबा साहब आंबेडकर जी ने जिस स्थान पर यह आंदोलन किया था वह स्थान एक प्रेरणा बनकर एक संघर्ष का स्थल बनकर याद दिला रहा है कि हमें इस भूमि को आकर नमन करना चाहिए यह संघर्ष मनुष्यता के अधिकार को फिर से हासिल करने का यह संघर्ष था यह संघर्ष जीवन का संघर्ष था यह संघर्ष मनुष्यता के अधिकारों को फिर से प्राप्त करने का संघर्ष था जिस तालाब में पशु पानी पी सकते थे लेकिन मनुष्य को पीने का पानी पीने का अधिकार नहीं था यह कैसे हो सकता यह कैसी इंसानियत यह कैसा धर्म यह सवाल बाबा साहब आंबेडकर जी ने उठाया मनुष्यता को मनुष्यता के अधिकार प्राप्त करने का यह सबसे बड़ा विश्व का आंदोलन था आज इस भूमि पर मुझे बहुत खुशी होती है बाबा साहब आंबेडकर जी का यह आंदोलन आगे बढ़ रहा है समता सैनिक के नौजवान सलामी देते हुए मैंने देखा बाबा साहब आंबेडकर जी के पौत्र भीमराव आंबेडकर वहां पर आए थे उन्हें सलामी देते हुए समता सैनिक दल का संचालन मान्य वंदना देखकर मन प्रफुल्लित हुआ मुंबई प्रदेश के समता सैनिक दल सोलापुर शहर के समता सैनिक दल चिपळून के समता सैनिक दल ने बड़ी मानवंदना दी बड़ी खुशी हुई वहां पर लेणी बौद्ध गुफाओं को ऐतिहासिकता का महत्व मुझे बहुत ही अच्छा लगा इसी भूमि पर बाबा साहब आंबेडकर जी ने मनुस्मृति का दहन किया था यह संघर्ष भूमि है यह क्रांति भूमि है 20 मार्च 2022 को आज यहां आकर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है कि यहां का पूरा वातावरण मैंने देखा यहां पर राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया है बार्टी द्वारा समाज कल्याण विभाग द्वारा यह भी सराहनीय कार्य हो चुका है और वहां पर काफी सहायता होना आवश्यक है जो कि महाराष्ट्र की सरकार जरूर करेगी यहां पर बाबा साहब आंबेडकर जी की प्रतिमा जो है चवदार तालाब के बीचो-बीच लगाई गई है जिस स्थान से जिस सीढ़ियों से उतरते हुए बाबा साहब ने आंदोलन किया था वहां पर बोर्ड लगाया गया है इसी सीढ़ियों से इसी स्थान से बाबा साहब आंबेडकर जी ने चवदार तालाब के पानी को स्पर्श किया था वहां पर एक शिल्प भी लगाया गया है अपने अनुयायियों के साथ बाबा साहब आंबेडकर चवदार तालाब में जा रहे हैं पानी पी रहे हैं यह सबसे बड़ा विश्व का आंदोलन था इसे देख कर बहुत प्रसन्नता हुई सोलापुर से डेढ़ सौ लोग तीन लग्जरी बस से आ गए इसका नेतृत्व के केरू जाधव ने किया मेरे साथ में हमारे मित्र सुमित डोलारे और अन्नासाहेब भालशंकर ,नागसेन माने समता सैनिक दल के सभी साथी गण महिलाएं काफी संख्या में इस समता सैनिक दल के साथ में मौजूद थी बुद्ध विहार समिति की महिलाएं भी हमारे साथ में आए बहुत खुशी हुई बहुत अच्छा लगा इस प्रकार का आयोजन बार-बर होना चाहिए बार-बार लोगों को ऐसे स्थानों पर ले जाना चाहिए इससे लोगों में प्रेरणा बढ़ जाती है लोगों में उत्साह बढ़ जाता है लोगों में आनंद बढ़ जाता है आंदोलन आगे बढ़ता है यह आंदोलन आगे बढ़ने के लिए ही इस प्रकार का प्रयास करना बहुत ही जरूरी है मैं तमाम आंबेडकर प्रेमियों से अनुरोध करना चाहूंगा कि जीवन में एक बार तो इस सक्रांति भूमि को नमन करने के लिए आपको आना चाहिए जय भीम
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