डॉ बाबासाहब आंबेडकर स्मारक आंबडवे ता दापोली जिला रत्नागिरी
जीवन का सफर बहुत ही अनूठा होता है और वह भी सफर जिस सफर में आपको जीवननुभूति आनंद की प्राप्ति दे निष्ठा की प्राप्ति हो ये कैसा सफर इस वर्ष मैंने किया जिस की अनुभूति मुझे एक अलग अनुभूति देखा है कि यात्रा गई महामानव बोधिसत्व डॉ बाबा साहब आंबेडकर जी का मूल गांव आंबडवे तालुका दापोली जिला रत्नागिरी में यह गांव स्थित है इस गांव को जाने के लिए हम सफर में निकले पहुंचते-पहुंचते दोपहर के 2:00 बज गए वहां का वातावरण हरा भरा था कोकण की भूमि में पहली बार हम जा रहे थे जहां देखो वहां सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा था पहाड़ों से भरा चट्टानों से रास्ता निकलते निकलते सतारा महाबलेश्वर दापोली पार करते करते मंडनगढ़ से होते हुए हम पूरे परिवार के साथ बाबा साहब आंबेडकर जी के अंबाडा वे गांव में आखिर पहुंच गए कई दिनों से यह मेरा सपना था कि बाबा साहब अंबेडकर जी का मूल गांव देखा जाए वहां पर जाकर नतमस्तक हो जाए उनकी भूमि पर अपने चरण स्पर्श करने का मौका कब मिल जाए इसकी तलाश शास्त्र करता रहा वहां जाने के बाद इतनी प्रसन्नता इतना अनुभव इतनी खुशी हुई कि उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते आखिर बाबा साहब अंबेडकर जी का यह गांव था बाबासाहेब आंबेडकर कई बार इस गांव में आ चुके थे रामजी बाबा का तो गांव ही था आज वहां पर बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक का निर्माण किया गया है जिस स्थान पर रामजी बाबा का मकान था उसी स्थान पर यह स्मारक बनाया गया है वहां पर बाबा साहब आंबेडकर जी की अस्थियां रखी गई है उनकी मूर्ति है भगवान बुद्ध की मूर्ति है राम जी बाबा की बड़ी तस्वीर वहां पर लगाई गई है अस्थि कलश का दर्शन करके मन में बहुत बड़ी प्रसन्नता हुई और सबसे बड़ी प्रसन्नता इस बात की हुई बाबा साहब आंबेडकर जी के परिवार के मूल सदस्य सकपाल परिवार के लोग नरेंद्र सकपाल तथा सकपाल फैमिली के साथ बातचीत करने का मौका मिला उनके साथ फोटोग्राफ निकालने का मौका मिला उनके साथ बोलने का मौका मिला जिस स्थान पर रामजी बाबा अपने जीवन के कई वर्ष बिताए उस स्थान पर जाना यह एक अपने आप में अनूठी बात थी जिसका मुझे गर्व है उस स्थान पर एक अशोक स्तंभ लगाया गया है उसकी याद में बाबा साहब आंबेडकर जी की याद में यह अशोक स्तंभ वहां पर लगाया गया है वहां पर बुद्ध विहार का निर्माण भी किया गया है बाबा साहब आंबेडकर जी के यादों को बहुत ही अच्छे ढंग से वहां पर संरक्षित करने का प्रयास किया गया है हर मैंने संडे वहां पर कार्यक्रम होते रहते हैं आंबेडकर परिवार के लोग मे मीरा ताई आंबेडकर, बालासाहब आंबेडकर ,आनंदराज अंबेडकर,भीमराव आंबेडकर , राजरत्न आंबेडकर और पूरी आंबेडकर परिवार के सदस्य गण इस स्थान पर आकर अपने पूज्य बाबा साहब आंबेडकरजी के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं आज भी उनके परिवार के नाम 5 एकड़ की जमीन आज वहां पर है यह बहुत बड़ी गर्व की बात है रामजी बाबा और बाबा साहब आंबेडकर जी का यह गहरा रिश्ता पिता पुत्र का गहरा रिश्ता माता भीमाबाई का गहरा रिश्ता इससे हमें नजर आता है हर एक व्यक्ति को हर एक बाबा साहब आंबेडकर जी के भीम सैनिक को वहां जाकर नतमस्तक होना चाहिए अपनी कृतज्ञता की भावना प्रकट करना चाहिए जो मैंने किया है नतमस्तक होने का काम किया है उनके विचारों को अपनाने का काम किया है उनके विचारों की ज्वाला आगे बढ़ाने के लिए हमें सतत प्रयास करना चाहिए यही भाव मन में रखते हुए हम आंबडवे गांव से हम निकल पड़े
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