एक रुकी हुई जिंदगी समीक्षा-डॉ संघप्रकाश दुड्डे
एक रुकी हुई जिंदगी समीक्षा-डॉ संघप्रकाश दुड्डे
एक रुकी हुई जिंदगी कहानी अपने आप में सर्वश्रेष्ठ कहानी के रूप में गिनी जाती है जिस से लिखा है कमलेश्वर जी ने यह कहानी एक रुकी हुई जिंदगी कहानी दिल्ली महानगर के जीवन पर आधारित है जिसमें दिल्ली की होड़ में साधारण व्यापारी की दयनीय अवस्था को चित्रित किया गया है एक घड़ी बेचने वाला आदमी किस प्रकार से अपना जीवन बदल देता है किस प्रकार से अपना जीवन आरंभ कर देता है इसकी वास्तव वादी यह कहानी है दिल्ली के चांदनी चौक की चकाचौंध रास्ते के दुकानदारों का शोरगुल चटाई या बेचने वाले की मोलतोल मोटर गाड़ियों की घर घर स्कूटर की लंबी कतारें और इस सारी आपाधापी में गुरुद्वारों से निकलने वाली हल्की सी शब्द की गुनगुन आहट को शब्द बंद कर कमलेश्वर जी ने दिल्ली महानगर के भीड़भाड़ भरे माहौल को उभारने की कोशिश की है लेखक का चमन नामक एक मित्र है जो दिल्ली के चांदनी चौक में घड़ियां बेचने का काम करता है छोड़ के कारण उसका धंधा ठीक से नहीं चलता है वह अपनी पत्नी की ठीक से परवरिश भी नहीं कर सकता है अभावग्रस्त स्थितियों का सामना करते करते एक दिन रात 8:15 बजे चमन की पत्नी का देहांत होता है उसी समय चमन दीवार पर लटकी घड़ी को बंद करता है अभाव की दुनिया में भरने हेतु वह अपने धंधे में कई तिगड़म चलाकर दिल्ली की दौड़ में शामिल होने का प्रयास करता है स्माल गर्ल घड़ी के नाम पर वह अपनी घड़िया भेजता है कारण करने में माल की बहुत जल्दी खपत होती है पुलिस को खबर होने से घड़ियां भेजने का उसका यह धंधा नया तरीका जो है वह बंद हो जाता है यदि निर्दोष होने से अदालत से बरी होता है तथापि वह चमनलाल से पुणे चमन ही बनकर रह जाता है कहानी चांदनी चौक से शुरू होती है और चांदनी चौक में आकर ही रुक जाती है दीवार पर टंगी रुकी हुई घड़ी न केवल चमन की पत्नी के मरण के समय की यादगार है बल्कि महानगर की गतिशीलता में अभावग्रस्त जिंदगी की रुकावट कभी प्रतीक है चमन की तिकड़म से लेखक ने सिद्ध किया है कि दुनिया झुकती है झुकाने वाला चाहिए इससे महानगर की मानसिकता का परिचय भी होता है इस तरह प्रस्तुत कहानी में कमलेश्वर जी ने महानगरीय जीवन की झांकी प्रस्तुत की है उससे उस जीवन की भी क्षमता भी लक्षित होती है यह कहानी हमें सोचने के लिए मजबूर करती है जब इंसान मेहनत से पैसा कमाता है सच्चाई के साथ पैसा कमाता है तो उसकी ओर लोग ध्यान नहीं देते जब आदमी आदमी भी इस चकाचौंध की दुनिया में आकर फस जाता है जो कि चमन इस कहानी का एक प्रमुख पात्र है जो इस चकाचौंध से बाहर आना चाहता है चमन जैसे हजारों लोग इस चकाचौंध की दुनिया में फंस कर फिर बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जमाना उन्हें बाहर आने नहीं देता इसी वास्तविकता को एक रुकी हुई जिंदगी इस कहानी के माध्यम से कमलेश्वर जी ने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
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