हिंदी देश की मां है-डॉ संघप्रकाश दुड्डे

हिंदी देश की मां है- डॉ संघप्रकाश दुड्डे 
 वसुंधरा महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग सोलापुर तथा हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिंदी पखवाड़ा तथा देश का अमृत महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित राष्ट्रीय एकता में हिंदी का योगदान इस विषय पर संगमेश्वर महाविद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख डॉ संघप्रकाश दुड्डे का व्याख्यान आयोजित किया गया था उस समय उन्होंने कहा कि हिंदी देश की मां है मां सबके लिए समान होती है मां के मन में सब के प्रति हमदर्दी होती है मां हमें प्यार से वात्सल्य से महत्त्व का भाव प्रदान करती है हिंदी भाषा का उद्भव और विकास स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि 10 वीं शताब्दी में 84 सिद्ध कवि के दोहों में हिंदी का प्राचीन रूप हमें दिखाई देता है इसलिए महापंडित राहुल सांकृत्यायन 84 सिद्ध कवि सरहपा को हिंदी का पहला कवि माना है 10 वीं शताब्दी से लेकर आधुनिक युग तक हिंदी भाषा जन जन का कल्याण कर रही है जन जन का मंगल कर रही है राष्ट्रीय एकात्मता में योगदान दे रही है राष्ट्र को अखंड बनाने में मजबूत बनाने में हिंदी का सबसे बड़ा योगदान रहा है हिंदी हमें एक दूसरे के साथ जोड़ती है सारे भेद दूर करती है विचारों का आदान-प्रदान करने का काम हिंदी के माध्यम से ही होता है चाहे व्यक्ति किस प्रांत में भी क्यों ना हो वह हिंदी भाषा के माध्यम से एक दूसरे के साथ वार्तालाप कर सकता है चाहे व्यक्ति किसी भी जाति धर्म का क्यों ना हो विचारों का माध्यम विचारों का आदान प्रदान करने का काम सदियों से हिंदी कर रही है महात्मा गांधी ने भी नमक का आंदोलन आरंभ किया आज उसका अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है देश की आजादी का भी 75 वा अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है इसमें हिंदी का भी सबसे बड़ा योगदान है हिंदी एक दूसरे को जोड़ती है समता स्वतंत्र बंधुता न्याय की भावना हमें भारतीय संविधान ने दी है इस संविधान के कारण आज राष्ट्र अखंड है एकांत में है एक दूसरे के साथ हम जुड़ रहे हैं चाहे व्यक्ति किसी भी संप्रदाय का क्यों न हो हिंदी को माध्यम बनाकर वह अपनी वाणी को प्रकट कर सकता है आज पूरा विश्व कोरोना की महामारी से भयभीत है उसमें भी हिंदी में एक दूसरे को सहारा देने का काम किया है आज ही आवश्यक है जो लोग बेघर हो गए हैं जिनके मां-बाप चले गए हैं जिनके अपने रिश्तेदार चले गए हैं जिसका कोई नहीं है जो अनाथ हो गया उसे अपनाने का काम करना यही राष्ट्रीय एकात्मता की भावना है इस भावना को हमें जाति धर्म पंथ संप्रदाय भाषावाद को भूलकर राष्ट्र की अखंडता को राष्ट्र निर्माण की भावना को हमें आगे ले जाना बहुत ही आवश्यक है आज के युग में यूपीएससी हो ,रेल हो, एलआईसी हो अलग-अलग प्रकार के क्षेत्र हो उस क्षेत्र में भी हिंदी ने रोजगार की उपलब्धियां बढ़ा दी है हिंदी भाषी क्षेत्र से ही सबसे ज्यादा अधिकारी हमें दिखाई देते हैं इसलिए छात्रों को अपने मन में हिंदी के प्रति जागरूक भाव बढ़ाकर हिंदी का प्रचार प्रसार करना बहुत ही महत्वपूर्ण है आज पूरे विश्व में हिंदी बोली जाती है समझी जाती है हिंदी में आदान-प्रदान हो रहा है चाहे संत कबीर के दोहे हो कबीर कहते हैं जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान मोल करो तलवार का पड़ा रहने दो म्यान किसी व्यक्ति से जाति मत पूछो उसके पास ज्ञान कितना है उससे पूछो इस बात को कबीर ने हमारे सामने रखा यह भी राष्ट्रीय एकात्मता का काम हिंदी दोहों के माध्यम से संत कबीर ने हमारे सामने रखने का प्रयास किया है प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक यह काम निरंतर हो रहा है चाहे आधुनिक युग में डॉ जयप्रकाश कर्दम ,हो मैत्रेई पुष्पा, हो चाहे अन्य लेखक गण हो अपना योगदान दे रहे हैं आज पूरे विश्व में हिंदी बोली जाती है समझी जाती है इसलिए राष्ट्र निर्माण राष्ट्र की चेतना राष्ट्र की अखंडता राष्ट्र को एक साथ आगे ले जाने में हिंदी का सबसे बड़ा योगदान है इस प्रकार के अनमोल विचार डॉ संघप्रका दुड्डे ने रखें /
 आरंभ में हिंदी विभाग प्रमुख डॉ  सुचिता गायकवाड ने प्रास्ताविक में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित गतिविधियों की जानकारी दी प्रधानाचार्य डॉ मीना गायकवाड जी ने स्वागत भाषण किया तथा अध्यक्षीय भाषण में हिंदी भाषा के प्रति हमारे मन में आस्था बढ़नी चाहिए हिंदी को आगे ले जाने के लिए प्रयास करना चाहिए हिंदी हमारी देश की एकता और अखंडता की मजबूत कड़ी है इस प्रकार के विचार उन्होंने रखें /
 इस समारोह का सूत्रसंचालन डॉ किशोर जोगदंड ने किया प्रमुख वक्ता का परिचय डॉ धनंजय मोगले ने किया आभार प्रकटन डॉ चंद्रकांत कांबळे  जी ने किया इस समय महाविद्यालय के प्राध्यापक गण छात्र-छात्राएं बहुत  बहु संख्या में उपस्थित थे /

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