कोरोना ने नव पूंजीवाद को जन्म दिया-डॉ जयप्रकाश कर्दम
कोरोना ने नव पूंजीवाद को जन्म दिया- डॉ जयप्रकाश कर्दम
संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर (स्वायत्त) हिंदी विभाग तथा हिंदी विकास मंच सोलापुर बोहल शोध मंजूषा हरियाणा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कोरोना विमर्श इस एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अन्तर्विद्याशाखीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था इसमें बीजभाषण देते समय डॉ जयप्रकाश कर्दम जी ने कहां की कोरोना ने नव पूंजीवाद को जन्म दिया है इसने यह भी सिखाया है कि मानवता से कोई बड़ा धर्म नहीं होता हर कोई व्यक्ति जीने के लिए विवश होता है जीवन गतिमान रहता है यह भी कोरोना ने हमें सिखाया है कोरोना के कारण अनेक संसार तबाह हो गए अपने लोगों को हमने खो दिया जो लोग घर से बेघर हो हो गए जो लोग छोटे थे फिर छोटे रह गए और जो लोग पैसे वाले थे वह पैसे वाले ही बन गए जिनकी रोजी-रोटी थी वह रोजी-रोटी चली गई लोग निराश हो गए परेशान हो गए एक दूसरे से दूर रहे कोरोना ने यह भी सिखाया की हमें जीना कैसे हैं अपने लोगों के साथ घर में ही बंद होकर जीना सिखाया दवाई खर्चा के लिए पैसा ना होते हुए भी लोग सरकारी अस्पतालों से इलाज करवा लिए निजी अस्पताल में भी इलाज संभव हो गया लेकिन मनुष्यता यह जो है आज भी कायम है आदमी किसी भी धर्म जाति धर्म पंथ संप्रदाय का क्यों न हो उसमें हमें एक भाव दिखाई दिया कि हर कोई व्यक्ति अपने आप में श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए मजबूर है लेकिन कोरोना ने हर एक व्यक्ति की रोजी-रोटी जो है वह छीन ली लोग पैदल इधर-उधर भाग रहे जीवन की आपाधापी बढ़ गई एकांत का सामना करना लोगों को पढ़ा जीवन की सच्चाई क्या है जीवन कितना अनमोल है इसका एहसास सबसे पहले लोगों को हुआ यह कोरोना के कारण कोरोना महामारी दूर हो यही भाव हर एक व्यक्ति के मन में आज भी है मनुष्य जाति सुखी हो हर कोई व्यक्ति दुख से मुक्त हो हर कोई व्यक्ति अपने आप में जीवन के हर लक्ष्य को पूर्ण करें यही भाव आज हर कोई अपने ह्रदय में लेकर जी रहा है संगमेश्वर महाविद्यालय हिंदी विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में एक नया विषय लेकर चर्चा का एक माहौल खड़ा कर दिया इसलिए मैं संगमेश्वर महाविद्यालय के हिंदी विभाग को हिंदी विकास मंच को मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूं /
जापान के मेधन्कर रवि महाथेर जी ने अपने भाषण में जापान में चल रही कोरोनावायरस की गतिविधि को अपनी वाणी के द्वारा हमारे सामने रखा "ना मो रंगों को 'इस मंत्र को पूरी जापान में कोरोना को दूर करने के लिए इस मंत्र का उपयोग किया गया इतने सारे लोगों के प्रति मंगल भाव प्रकट किया गया है सबका मंगल हो सबका कल्याण हो यही भाव इसमें प्रकट किया गया है पूरे जापान में धर्म पुंडरीक या लोटस सूत्र का पाठ किया गया जिसमें सारे धर्मों के लोगों के प्रति दुख मुक्ति का भाव किया गया दुख मुक्ति का मार्ग सबके लिए है सब के कल्याण के लिए है यह भाव उन्होंने अपने भाषण में प्रकट साथ साथ भारत में चल रहे हैं कोरोना अभिषेक महामारी में जो सायता चल रही है उसकी उन्होंने सराहना की चाहे किसी भी व्यक्ति किसी भी धर्म का जाति का क्यों न हो कंधे को कंधे मिलाकर एक दूसरे के साथ लड़ रहा है साथ दे रहा है इससे बढ़कर और कोई धर्म नहीं होता यह बात भारत में भी मुझे दिखाई दी जापान में भी इसी जापान में केवल 300 मरीज कोरोना के पाए गए साथी साथ ओलंपिक प्रतियोगिताओं के कारण यह बीमारी जापान में ज्यादा फैल गई लेकिन मूल रूप से जापान के लोगों में इस बीमारी में पहले से ही सतर्कता होने के कारण यह ज्यादा नहीं फैल पाई जापान के लोग बहुत ही साफ-सुथरे रहते हैं आज यही संदेश पूरे विश्व को दिया जा रहा है साफ सुथरा रहो मास्क लगाओ हाथ धो लो यही करो ना मुक्ति का मार्ग है इस बात को उन्होंने अपने व्याख्यान में प्रकट करने का प्रयास किया /
थाईलैंड से दीप रतन अपने व्याख्यान में थाईलैंड में चल रहे हैं गतिविधियों को हमारे सामने रखा साथ ही साथ थाईलैंड में आज के दौर में महामारी फैली है लाकड़ौन चल रहा है सरकार लोगों को वैक्सीन फ्री में दे रही है जिस प्रकार से भारत में भी वैक्सीन फ्री में दी जा रही है तो सारे लोग इस बीमारी से दूर हो यही भाव पूरे विश्व में फैल रही है ढाई हजार वर्ष पहले वैशाली में किसी प्रकार की बीमारी आ गई थी और उस वक्त भगवान बुद्ध ने रतन सूत्र का उपदेश इस उपदेश से वैशाली की महामारी चली गई इस देश में यही भाव था कि सारे लोग सुखी हो सारे लोग दुख से मुक्त हो सारे लोगों का कल्याण हो सारे लोग भय से मुक्त हो सारे लोग अपने अपने घर में सुख शांति से रहे यही भाव इस रतन शुद्ध में दिया गया है और इस रतन सूक्त का पाठ आज पूरे विश्व में थाईलैंड में जापान में श्रीलंका में कंबोडिया में मनमाड में हर देश में हो रहा है और इसी वर्तमान में जो समस्या आई है वह ज्यादा दिनों तक रहने वाली नहीं है एक ना एक दिन यह समस्या समाप्त होने वाली है जब वैशाली की बीमारी समाप्त हो गई तो वैशाली में आनंद मनाया गया जश्न मनाया गया तो आज भी पूरे विश्व में यह जो बीमारी फैल रही है एक न एक दिन वह नष्ट होने वाली है जब नष्ट होगी तो हम भी जश्न मनाएंगे सारे लोग पहले जैसे आनंद से जी लेंगे मैथिली से जी लेंगे शांति से जी लेंगे इस प्रकार की हम आशा करते हैं इस प्रकार का मंतव्य दीप रतन जी ने रखा /
अध्यक्षीय भाषण में सोलापुर विश्व विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ इरेश स्वामी ने कहा कि हिंदी विभाग द्वारा आयोजित कोरोनावायरस पर प्रासंगिक विषय को लेकर चर्चा करना बहुत ही महत्वपूर्ण काम हिंदी विभाग ने किया है आज अपने लोगों को खो दिया है कई लोगों ने अपने पति को अपने बच्चों को अपनी मां को अपने पिता को अपने भाई को खो दिया है और इसी कारण सारी जनता दुखी है परेशान है इन्हें दुख से मुक्ति पाने का उपाय जो है वह हर कोई व्यक्ति एक दूसरे का सहायता करें मदद करें तन मन धन से एक दूसरे का सहयोग करें इससे बढ़कर और कोई धर्म नहीं है आज कोरोना मनुष्य को किस प्रकार से जीना है यह सिखाने का प्रयास करुणा ने किया है कोरोनावायरस वन की आपाधापी को हमारे सामने रखा है चाहे छोटा बच्चा हो चाहे बड़ा हो चाहे बुजुर्ग हो हर कोई व्यक्ति को रोना से पीड़ित है करुणा से परेशान है उनका जीवन प्रकाश में हो उनके जीवन में एक नई रोशनी आए यही भाव डॉक्टर स्वामी जी ने अपने मंतव्य में रखी /
आरंभ में में आरंभ हमें संगमेश्वर महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ शोभा राजमान्य जी ने सबका स्वागत किया संस्था का परिचय दिया प्रास्ताविक और अतिथि का परिचय हिंदी विभाग प्रमुख डॉ संघप्रकाश दुड्डे ने किया सूत्रसंचालन डॉ दादा साहब खांडेकर ने किया कृतज्ञता ज्ञापन डॉ डी एस बताले ने किया इस संगोष्ठी में बोहल शोध मंजूषा के संपादक डॉ नरेश सिहाग, हरियाणा, डॉ रत्न कुमार बेंगलोर देश विदेश से अध्यापक गण प्राध्यापक शोध छात्र तथा हिंदी प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे/
बहुत ही महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक बेबिनार इस बेबिनार से जुड़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात है एक तथ्य जो मैंने महसूस किया है मानवीय एकता ही मानव जीवन के मूल्यों को निर्धारित करतीं हैं
ReplyDeleteधन्यवाद
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