सेवा भाव भेदभाव रहित जीवन जीने में ही मानवीय कल्याण है -प्रा अंजना सोनवणे (गायकवाड़)

सेवा भाव भेदभाव रहित जीवन जीने  में ही मानवीय कल्याण है -प्रा अंजना सोनवणे (गायकवाड़) संगमेश्वर महाविद्यालय सोलापुर हिंदी विभाग तथा हिंदी विकास मंच सोलापुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है उसमें अष्टम पुष्प प्रकट करते हुए अंजना सोनोने ने कहा कि भेदभाव रहित जीवन जीना ही मानवी कल्याण है सत्यनारायण गोयनका का पूरा जीवन सत्य अहिंसा प्रेम करुणा मैत्री मुदिता से भरा हुआ है उन्होंने अपने जीवन के सारे कर्म जो है मानव कल्याण के लिए मानव हित के लिए सारे दुखों से छुटकारा पाने के लिए अपने जीवन की सारी ताकत सत्यनारायण गोयनका जी के दोहों में हमें यह सारी बातें दिखाई देती है मानवी कल्याण और मानव का दुख दूर करने की भावना उनके हर दोनों में समाहित हो गए हैं हर दोहा हमें मानव का कल्याण हो मानव जाति सुखी रहे धर्म धर्म सब कहे न समझना को धर्म चित्त की शुद्धता धर्म शांति सुखचैन इस प्रकार से सत्यनारायण गोयनका जी ने धर्म की परिभाषा की है सत्यनारायण गोयनका कहते हैं धर्म ना हिंदू बौद्ध है धर्म मुस्लिम जैन धर्म चित्त  की शुद्धता धर्म शांति सुखचैन धर्म क्या है धर्म सुख और शांति चयन है जहां शांति है वहां चयन है जहां चयन है वहां शांति है शांति का जीवन जीना हर कोई व्यक्ति चाहता है इसलिए वे कहते हैं तीन बातें बंधन बांधे राग द्वेष अभिमान तीन बातें बंधन छूटे शील समाधि ज्ञान यानी कि हमें ज्ञान की उपासना करनी चाहिए हमारे मन में जो बुरे विचार है उन बुरे विचारों को दूर करके हमारा मन सही अर्थों में सही व्याख्या करना यही मानवता धर्म है मानवता का प्रचार हो सारे मानव प्राणी सुखी हो सारे मानव प्राणी अपने आप में मंगल ता भरे हो सबका मंगल हो सबका कल्याण हो यही भाव गोयंका गुरुजी के दोहों में हमें दिखाई देता है भगवान बुद्ध की विचारधारा को उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से मनुष्य जाति का कल्याण हो यही भाव उनके विचारों के द्वारा हमारे सामने उपस्थित होते हैं और इन विचारों को मनुष्य जाति के वर्ण द्वेष साथ ही साथ अभिमान घर भिनसारे इन सारे विमानों को दूर करना वेस्ट दुर्भावना को दूर करना मनुष्यता का जीवन लक्ष्य होना चाहिए मनुष्य के मन में महिलाओं हो मनुष्य के मन में दुराचार अनुभव शील समाधि का जीवन जीना प्रज्ञा का अनुभव करना यही तो मनुष्यता है मनुष्यता को मनुष्यता की तरह रहना मानवता का जीवन जीना जाति का अभिमान दूर करना धर्म का अभिमान दूर करना साथ साथ मिलकर एक दूसरे के साथ भाईचारा का रिश्ता स्थापित करना यही तो मानवता है यही तो मानव धर्म है धर्म और धर्म की व्याख्या सत्यनारायण गोइंग की गोयंका गुरुजी के दोहों में दिखाई देती है उनका हर एक दोहा संत कबीर दादू नानक रहीम की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला हिंदी साहित्य में एक अनूठा प्रयास है उनके दोनों में मानव का हित है मानव का कल्याण है सारे मानव के प्रति आत्मीय भाव है सब के प्रति दुख का विनाश हो चार आर्य सत्य का पालन हो आर्य अष्टांगिक मार्ग का पालन हो सबके मन में धर्म की प्रेरणा जागे यही भाव उन्होंने अपने पदों के द्वारा प्रकट करने का प्रयास गुरुजी ने किया है जागे मंगल प्रेरणा दोहा संग्रह से गुरु जी के सारे दोहे हमें प्राप्त होते हैं मनुष्यता का विकास होने के लिए मनुष्यता को हिंसा से दूर रहना चाहिए पाप से दूर होना चाहिए यही भाव गुरुजी ने अपने दोहों के माध्यम से बताने का प्रयास किया है उनका हर एक दोहा मनुष्यता के उत्कर्ष के लिए मनुष्यता का विकास होने के लिए मनुष्य में माननीय कल्याण का भाव जगाने के लिए उनके मन में यह सारे भाव उजागर होते हैं इसलिए आधुनिक युग में संत के रूप में महान संतों के विचारों के द्वारा सत्यनारायण गोयंका गुरुजी ने हमें जीवन की सच्चाई क्या है जीवन नश्वर है क्षणभंगुर है इसका अभिमान हमें नहीं करना चाहिए पर पैसा संपत्ति नश्वर है इसका भी हमें अभिमान नहीं करना चाहिए यह सारे क्षणिक है क्षणिक सुख को हमें समझना चाहिए संपत्ति धन वैभव यह सुख नहीं है यह भौतिक सुख में दुख देते हैं और आध्यात्मिक सुख जो है मनुष्यता को सही सुख का रास्ता देते हैं इस प्रकार के अनमोल विचार अंजना सोनोने ने हमारे सामने रखें पंचशील का पालन करना सही धर्म है पंचशील की विचारधारा मनुष्य जाति का उत्कृष्ट करने के लिए है यही भाव उन्होंने अपने पदों के द्वारा गुरुजी के दोहों के द्वारा स्पष्ट करने का प्रयास किया सबसे पहले हिंदी विभाग प्रमुख डॉक्टर संघ प्रकाश दुड्डे ने वक्ता का परिचय और स्वागत किया सूत्रसंचालन शिव जहागीरदार ने किया आभार प्रकट डॉक्टर बालेसर ने किया इस समय भारत के अन्य अन्य विश्वविद्यालय से महाविद्यालयों से प्राध्यापक गण शोध छात्र उपस्थित थे डॉ अरुण कुमार इंगले साथ ही साथ प्राध्यापक डॉ दादासाहेब खांडेकर शारदा गजभिए डॉ दीपक कुमार मित्तल भारत के अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे/

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