मानव मन में ज्ञान की जागृति शायरी से आती है- डॉ रतन कुमार
मानव मन में ज्ञान की जागृति शायरी से आती है डॉ रतन कुमार
संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर स्वायत्तता हिंदी विभाग तथा हिंदी विकास मंच सोलापुर से आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यानमाला में डॉ रतन कुमार बेंगलुरु कर्नाटक से शायरी के विविध आयाम इस विषय पर उन्होंने आज का व्याख्यान दिया उस समय उन्होंने इस वाक्य को कहा कि मानव मन में ज्ञान की जागृति शायरी से आती है मुख्य रूप से शेर गजल रुबाई कितना कसीदा मसनवी नजमा शायरी के प्रकारों से शायरी लिखी जाती है डॉ रतन कुमार ने शायरी का रूप दर्शकों के सामने रखते हुए कहा कि शायरी जो है फारसी से हिंदी साहित्य में आई है शायरी में किसी की प्रशंसा की जाती है कुछ शायरी के द्वारा सामाजिक संदेश दिया जाता है कुछ शायरी में महत्वपूर्ण विचार दिए जाते हैं जीवन का मूल्य उसमें दिखाई दिया जाता है शायरी के द्वारा मनुष्य का जीवन बदल जाता है शायरी के लिए बहुत सारी मेहनत की जरूरी होती है अलंकारिक ताकि दृष्टि से छंद की दृष्टि से भी उस में लिखना बहुत कुछ आवश्यक होता है उर्दू की हर कविता जो नजमा कही जाती है वर्तमान समय में इसका प्रयोग जो है गजल को जोड़कर बाकी कविता के लिए किया जाता है मुक्त छंद कविता को आजाद नज्म कहा जाता है शेरिया शेरो शायरी को सुकून भी कहा जाता है शायरी लिखने वालों को अपनी भावना को व्यक्त करने के लिए शायरी लिखने वालों को शायर कहा जाता है और शायरी लिखने वाली जो होती है शहर का ज्यादा शायरी लिखने वाली को शायरा कहा जाता है शायरी शेर शायरी दो लाइन की होती है शायरी हजारों लाइन की भी होती है शेर दो पंक्तियों का होता है खुदा बंदे से बोले तेरी रजा क्या है यह भी तो बड़ा हुआ तो क्या हुआ पेड़ खजूर फल लागे अंतिम शेर दो जुल्मों या पंक्तियों की कविता होती है जो शेर गजल का हिस्सा होता है तुकबंदी वाले को शेर कहा जाता है बिना अरब ईद भी शेर कहा जाता है शेर को अलग-अलग कहा जाता है दोहों में नैतिकता होती है कुछ विद्वान के अनुसार वर्ली से 1668 में वाली औरंगाबाद दक्षिण के उर्दू के पहले शायर बताए जाते हैं जहां पर गजल शायरी है हम देख सकते हैं कि शेरों के द्वारा गजल बनता है कई कविता के द्वारा उपमहाद्वीप से उर्दू कविता और अपने भावों को व्यक्त करता है कलम के द्वारा लेखणी को कागज बनाओ कलम को बताओ कलम हमें क्या संदेश देती है जहां पर कवियों की भावनाओं को प्रकट करने के लिए कभी अपनी भावना प्रकट करता है जैसे जयशंकर प्रसाद महादेवी वर्मा निराला आदि ने स्वच्छंद बाद काव्य हमारे सामने उपस्थित किया है कविता के माध्यम से जो जब सांसो के कंपन वायु के यादों को ताजा कर आने के लिए रोती हूं आंखों का गर्म पानी जिस्म कच्चे मैं कलम हो जब उसकी पर्स से निकलकर उसमें सतह से के लिए रोती हूं रुबाई किताब चार लाइन की होती है कविता चाहे कैसी भी हो जो हमें भाव बनते जाते हैं वही कविता बनती है शायरी महिलाओं के ऊपर राष्ट्रप्रेम सामाजिक शायरी बनी जाती है शायरी ने समाज को बदलने का काम किया है कलम के द्वारा जो कोई बचपन में आंसू गिराता है मैं कलम हूं कलम प्रियतम की बात करता है समय के अनुसार सब कुछ बदलता है मानवता नैतिकता का संदेश कविता के द्वारा हमें प्राप्त होता है कलम क्या कहती है प्रियतम बिना रूठ जाता है कविता के जरिए उसके भाव जब कोई कोरा कागज अपना अस्तित्व समाप्त करता है कलम के द्वारा कलम शायरी के द्वारा शेर गजल के द्वारा स्पष्ट होता है जैसे कि मिर्जा गालिब के शेयरों में दर्द है 27 दिसंबर 1797 में काला महल में मिर्जा गालिब का जन्म हुआ मिर्जा गालिब ने शेर और शायरी से एक माहौल बना दिया दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई दोनों को एक आदम में रजामंद कर गई कितना संताप होता है शाम को पूछ उनको परिंदे से जिनके घर नहीं होते हैं मिर्जा गालिब कहते हैं कि जिनके घर नहीं होते हैं वे उन्हें परिंदों को पूछने की बात करते हैं हाथों की लकीरों पर मत जा ए ग़ालिब नसीब उनके ही होते हैं जिनके हाथ नहीं होते इस प्रकार से दुनिया में आकर अनेक सारी बातें आती है हम सब कुछ छोड़ कर चले जाते जब हम इस जहां में आते थे हम इसके मालिक थे हम जहां से चले गए तो दोनों हाथ हमारे खाली थे इस प्रकार से मिर्जा गालिब हो राहत इंदौरी हो गुलजार हो इनकी शायरी रतन कुमार जी ने लोगों के सामने रखी किसने दस्तक दी दिल पर यह कौन है आप तो अंदर है बाहर कौन है रंग चेहरे का जब कैसा है आईना गई काम घुटनों के दर्द कैसा है दिल में बात होती है हमारे मन में प्रसन्नता होती है इस प्रकार की बहुत ही महत्वपूर्ण बातें रतन कुमार जी ने हमारे सामने रखी प्रारंभ में हिंदी विभाग प्रमुख डॉक्टर संघ प्रकाश दुड्डे ने वक्ता का परिचय करके दिया सूत्रसंचालन शिव जहागीरदार ने किया और आभार प्रकट अन डॉक्टर दरयप्पा वाले सर जी ने किया इस व्याख्यानमाला में उत्तर भारत के विद्वान प्राध्यापक झारखंड पंजाब मध्य प्रदेश हरियाणा कई प्रदेशों से प्राध्यापक गण उपस्थित थे साथ ही साथ पूरे भारतवर्ष के छात्र-छात्राएं भी इस व्याख्यान माला में उपस्थित थे हिंदी विभाग के डॉ दादा साहब खांडेकर उपस्थित थे
अभिनंदन, बहुत बढ़िया
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