धम्म वंदना

𑀥𑀫𑁆𑀫 𑀯𑀁𑀤𑀦𑀸


𑀲𑁆𑀯𑀸𑀓𑁆𑀔𑀸𑀢𑁄 𑀪𑀕𑀯𑀢𑀸 𑀥𑀫𑁆𑀫𑁄 𑀲𑀦𑁆𑀤𑀺𑀝𑁆𑀞𑀺𑀓𑁄 𑀅𑀓𑀸𑀮𑀺𑀓𑁄,
𑀏𑀳𑀺𑀧𑀲𑁆𑀲𑀺𑀓𑁄 𑀑𑀧𑀦𑀸𑀬𑁆𑀬𑀺𑀓𑁄 𑀧𑀘𑁆𑀘𑀢𑀁 𑀯𑁂𑀤𑀺𑀢𑁆𑀩𑁆𑀩𑁄 𑀯𑀺𑀜𑁆𑀜𑀼𑀳𑀻’𑀢𑀺𑁇


𑀥𑀫𑁆𑀫𑀁 𑀚𑀻𑀯𑀺𑀢 𑀧𑀭𑀺𑀬𑀦𑁆𑀢𑀁 𑀲𑀭𑀡𑀁 𑀕𑀘𑁆𑀙𑀸𑀫𑀺𑁇


𑀬𑁂 𑀘 𑀥𑀫𑁆𑀫𑀸 𑀅𑀢𑀻𑀢𑀸 𑀘, 𑀬𑁂 𑀘 𑀥𑀫𑁆𑀫𑀸 𑀅𑀦𑀸𑀕𑀢𑀸𑁇
𑀧𑀘𑁆𑀘𑀼𑀧𑀦𑁆𑀦𑀸 𑀘 𑀬𑁂 𑀥𑀫𑁆𑀫𑀸, 𑀅𑀳𑀁 𑀯𑀦𑁆𑀤𑀸𑀫𑀺 𑀲𑀩𑁆𑀩𑀤𑀸𑁇


𑀦𑀢𑁆𑀣𑀺 𑀫𑁂 𑀲𑀭𑀡𑀁 𑀅𑀜𑁆𑀜𑀁 𑀥𑀫𑁆𑀫𑁄 𑀫𑁂 𑀲𑀭𑀡𑀁 𑀯𑀭𑀁𑁇
𑀏𑀢𑁂𑀦 𑀲𑀘𑁆𑀘𑀯𑀚𑁆𑀚𑁂𑀦 𑀳𑁄𑀢𑀼 𑀫𑁂 𑀚𑀬𑀫𑀗𑁆𑀕𑀮𑀁𑁇


𑀉𑀢𑁆𑀢𑀫𑀗𑁆𑀕𑁂𑀦 𑀯𑀦𑁆𑀤𑁂𑀳𑀁, 𑀥𑀫𑁆𑀫𑀜𑁆𑀘 𑀤𑀼𑀯𑀺𑀥𑀁 𑀯𑀭𑀁𑁇
𑀥𑀫𑁆𑀫𑁂 𑀬𑁄 𑀔𑀮𑀺𑀢𑁄 𑀤𑁄𑀲𑁄, 𑀥𑀫𑁆𑀫𑁄 𑀔𑀫𑀢𑀼 𑀢𑀁 𑀫𑀫𑀁𑁇


𑀅𑀞𑁆𑀞𑀸𑀗𑀺𑀓𑁄 𑀅𑀭𑀺𑀬 𑀧𑀣𑁄 𑀚𑀦𑀸𑀦𑀁 𑀫𑁄𑀓𑁆𑀔𑀧𑁆𑀧𑀯𑁂𑀲𑀸 𑀉𑀚𑀓𑁄 𑀯 𑀫𑀕𑁆𑀕𑁄
𑀥𑀫𑁆𑀫𑁄 𑀅𑀬𑀁 𑀲𑀦𑁆𑀢𑀺𑀓𑀭𑁄 𑀧𑀡𑀻𑀢𑁄, 𑀦𑀺𑀬𑁆𑀬𑀸𑀦𑀺𑀓𑁄 𑀢𑀁 𑀧 𑀦𑀫𑀸𑀫𑀻 𑀥𑀫𑁆𑀫𑀁𑁇


𑀲𑀁𑀧𑀸𑀤𑀦-𑀟𑀸 𑀲𑀁𑀖𑀧𑁆𑀭𑀓𑀸𑀰 𑀤𑀼𑀟𑁆𑀟𑁂
धम्म वंदना


स्वाक्खातो भगवता धम्मो सन्दिट्ठिको अकालिको,
एहिपस्सिको ओपनाय्यिको पच्चतं वेदित्ब्बो विञ्ञुही’ति।


धम्मं जीवित परियन्तं सरणं गच्छामि।


ये च धम्मा अतीता च, ये च धम्मा अनागता।
पच्चुपन्ना च ये धम्मा, अहं वन्दामि सब्बदा।


नत्थि मे सरणं अञ्ञं धम्मो मे सरणं वरं।
एतेन सच्चवज्जेन होतु मे जयमङ्गलं।


उत्तमङ्गेन वन्देहं, धम्मञ्च दुविधं वरं।
धम्मे यो खलितो दोसो, धम्मो खमतु तं ममं।


अठ्ठाङिको अरिय पथो जनानं मोक्खप्पवेसा उजको व मग्गो
धम्मो अयं सन्तिकरो पणीतो, निय्यानिको तं प नमामी धम्मं।


संपादन-डॉ संघप्रकाश दुड्डे

Comments

Popular posts from this blog

काल के आधार पर वाक्य के प्रकार स्पष्ट कीजिए?

10 New criteria of NAAC and its specialties - Dr. Sangprakash Dudde, Sangameshwar College Solapur

जन संचार की परिभाषा ,स्वरूप,-डॉ संघप्रकाश दुड्डेहिंदी विभाग प्रमुख,संगमेश्वर कॉलेज सोलापुर (मायनर हिंदी)