सब्ब सुख गाथा

𑀲𑀩𑁆𑀩 𑀲𑀼𑀔𑀕𑀸𑀣𑀸




𑀲𑀩𑁆𑀩𑁂 𑀲𑀢𑁆𑀢𑀸 𑀲𑀼𑀔𑀻 𑀳𑁄𑀁𑀦𑁆𑀢𑀼 , 𑀲𑀩𑁆𑀩𑁂 𑀳𑁄𑀁𑀦𑁆𑀢𑀼 𑀘 𑀔𑁂𑀫𑀺𑀦𑁄 𑁇
𑀲𑀩𑁆𑀩𑁂 𑀪𑀤𑁆𑀭𑀸𑀦𑀺𑀧𑀲𑁆𑀲 𑀦𑁆𑀢𑀼 , 𑀫𑀸𑀓𑀢𑁆𑀭𑁆𑀘𑀺 𑀤𑀼𑀓𑁆𑀔𑀫𑀸𑀕𑀫𑀸 𑁈𑁧𑁈


𑀬𑀸𑀦𑀻 𑀥 𑀪𑀽𑀢𑀸𑀦𑀻 𑀲𑀫𑀸 𑀕𑀢𑀸𑀦𑀺 𑀪𑀽𑀫𑁆𑀫𑀦𑀺 𑀯𑀸𑀬𑀸𑀦𑀺𑀯 𑀅𑀦𑁆𑀢𑀮𑀺𑀔𑁆𑀔𑁂 𑀲𑀩𑁆𑀩𑁂𑀯 𑁇
𑀪𑀽𑀢𑀸 𑀲𑀼𑀫𑀦𑀸 𑀪𑀯𑀦𑁆𑀢𑀼 𑀅𑀣𑁄 𑀧𑀺 𑀲𑀓𑁆𑀓𑀘𑁆𑀘 𑀲𑀡𑀦𑁆𑀢𑀼 𑀪𑀸𑀲𑀺𑀢𑀁 𑁈𑁨𑁈


𑀢𑀲𑁆𑀫𑀸 𑀳𑀺 𑀪𑀽𑀢𑀸 𑀦𑀺𑀲𑀸𑀫𑁂𑀣 𑀲𑀩𑁆𑀩𑁂 𑀫𑁂𑀢𑀁 𑀓𑀭𑁄𑀣 𑀫𑀸𑀦𑀽𑀲𑀺𑀬𑀸 𑀧𑀚𑀸𑀬 𑁇
𑀤𑀺𑀯𑀸𑀘 𑀭𑀢𑁄𑀘𑁆𑀘 𑀳𑀭𑀦𑁆𑀢𑀺 𑀬𑁂 𑀩𑀮𑀺 𑀢𑀲𑁆𑀫𑀸𑀳𑀺𑀦𑁂 𑀭𑀓𑁆𑀔𑀣 𑀅𑀧𑁆𑀧𑀫𑀢𑁆𑀢𑀸 𑁈𑁩𑁈

𑀲𑀁𑀧𑀸𑀤𑀦 -𑀟𑀸 𑀲𑀁𑀖𑀧𑁆𑀭𑀓𑀸𑀰𑀤𑀼𑀟𑁆𑀟𑁂
सब्ब सुखगाथा




सब्बे सत्ता सुखी होंन्तु , सब्बे होंन्तु च खेमिनो ।
सब्बे भद्रानिपस्स न्तु , माकत्र्चि दुक्खमागमा ।।१।।


यानी ध भूतानी समा गतानि भूम्मनि वायानिव अन्तलिख्खे सब्बेव ।
भूता सुमना भवन्तु अथो पि सक्कच्च सणन्तु भासितं ।।२।।


तस्मा हि भूता निसामेथ सब्बे मेतं करोथ मानूसिया पजाय ।
दिवाच रतोच्च हरन्ति ये बलि तस्माहिने रक्खथ अप्पमत्ता ।।३।।

संपादन -डॉ संघप्रकाशदुड्डे 

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