असहनशीलता के पाँच दुष्परिणाम



भिक्षुओं को सम्बोधित करते हुए तथागत बुद्ध ने कहा-
    
भिक्षुओ !

असहनशीलता के ये पाँच दुष्परिणाम है। 

कौन में पांच ? 

१.बहुत जनो का अप्रिय होता है।

२.अच्छा न लगने वाला होता है।

३. रौद्र होता है।

४.पश्चात्ताप करने वाला होता है। 

५. मूढ-चित्त होकर मृत्यु को प्राप्त होता है, शरीरके छूटने पर मरने के अनन्तर दुर्गति को प्राप्त होता है, नरक मे जन्म होता है। 

 भिक्षुओ !

सहनशीलता के ये पाँच शुभ-परिणाम होते हैं।

 कौन से पाँच ? 

१. बहुत जनो का प्रिय होता है।

२.अच्छा लगने वाला होता है।

३. रोद्र नहीं होता है। 

४.पश्चात्ताप करने वाला नही होता है।

५. मूढ-चित्त होकर मृत्यु को प्राप्त नहीं होता है, शरीरके छूटने पर, मृत्यु के अनन्तर सुगति को प्राप्त होता है, स्वर्ग मे जन्म ग्रहण करता है।

नमो बुद्धाय🙏🙏🙏

Ref:अन्गुतरनिकाय: 
    असहनशीलता सुत्त

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