मंगल मैत्री के लाभ





"न हि वेरेन वेरानि, 
सम्मन्तीध कुदाचनं ।
अवेरेन च सम्मन्ति, 
एस धम्मो सनन्तनो ।"
         - तथागत बुद्ध

इस संसार में वैर से वैर कभी शान्त नहीं होता, मैत्री से ही (वैर) शान्त होता है। यही संसार का सनातन नियम है।

मन को मंगल कामनाओं से भर देने को भगवान बुद्ध 'मैत्री भावना' कहते हैं ।

भिक्षुओं को सम्बोधित करते हुए तथागत बुद्ध ने कहा-
भिक्षुओ ! मैत्री रखने में ग्यारह लाभ है?

कौन-से ११ लाभ है?
      
🍀मंगल मैत्री के 11 लाभ🍀 
   
मैत्री भावना करनेवाला :

🍀1. सुख की नींद सोता है।

🍀2. तरोताज़ा जागता है।

🍀3. दुःस्वप्न नहीं देखता है।

🍀4. मनुष्यों में प्रिय होता है।

🍀5. अमनुष्यों में प्रिय होता है।

🍀6. देवता उसकी रक्षा करते है।

🍀7. अग्नि,विष,शस्त्र उसे मार नहीं सकते।( यानी कोई शत्रु नहीं होने के कारण कोई उसे अग्नि, विष, शस्त्रसे  नही मारते है।)

🍀8. सहज समाधिस्थ हो सकता है।

🍀9. मुख का वर्ण निखरता है। मुखाकृति शांत होती है।

🍀10. बेहोशी में नहीं मरता है।

🍀11. मरने के बाद ब्रह्मलोक में जन्म होता है। मरने पर अच्छी गति होती है । 


नमो बुद्धाय🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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