वासोटा गड ट्रेकिंग =संगमेश्वर ट्रेकिंग क्लब सोलापुर का नया कीर्तिमान
वासोटा गढ़ ट्रैकिंग का अनुभव संगमेश्वर। ट्रैकिंग क्लब सोलापूर द्वारा आयोजित। 9 फरवरी 2020 को एक अलग अनुभव रहा। इस ट्रैकिंग में 37। छात्रों ने भाग लिया। 10 प्राध्यापक मार्गदर्शक के रूप में रहे और स्वयं भी उन्होंने ट्रैकिंग में अपना अनमोल अनुभव कथन किया। शुरू में हम सोलापूर से शनिवार को। यानी कि। सोलापुर से हम निकले। 8 तारीख रात के 9:30 बजे से करीब हम यहां से निकले। सुबह हम पहुंच गए सातारा। वेद भवन मंगल कार्यालय में सुबह 5:00 बजे हम पहुंच गए। फिर वहां फ्रेश होकर नाश्ता करके हम निकले ताकि रास्ते में कांस का पठार बहुत ही अतुलनीय अनुभव रहा। उसे देखे देखे हम आगे बढ़े। वासोटा। के यहां जाने के बाद वहां पर। कोयना डैम का जो बैक वाटर है उस बैक वाटर से जल से ही मार्ग है जो कि बोट से जाना होता है वह हम चले गए वहां जाने के बाद बहुत ही अनूठा अनुभव रहा बोट के द्वारा जाने का आयोजन किया गया। इस में समन्वयक के रूप में डॉ शिवाजी मस्के जी ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई वासोटा के उसके किनारे हम पहुंच गए वहां से जंगल का सफर शुरू हो गया। करीबन 3000 फिट की ऊंचाई पर यह वासोटा है वहां जाने के लिए इतना कठिन रास्ता है उस कठिन रास्ते को भी हमने पार किया हमारे छात्र जो है सबसे पहले आगे चले उसके बाद कुछ लोग पीछे रहे दो तीन लड़कियां पीछे रही फिर भी सबसे ऊपर की यह जो ऊंचाई है वहां तक चले गए हम भी उनके साथ थे। यह बहुत ही अलग और अनूठा अनुभव रहा हमारे लिए एक अच्छा सफर एक अच्छी यात्रा के रूप में इसे याद करेंगे हर एक भारतीय महाराष्ट्रीयन नारी युवक को मैं कहना चाहूंगा इस प्रकार का आयोजन आप भी करें छात्रों के साथ समूह के द्वारा अगर आप चले जाते हो तो यह बहुत ही अच्छा है। हम वासोटा गढ़ के ऊपर से नागेश्वर गुहा हमने देखा साथी साथ वहां पर बाबूगढ़ जो है उसे भी हमने देखा वहां पर एक महादेव का मंदिर है उसे भी हमने देखा। वहां पर एक राजवाड़ा का भग्नावशेष है उसे हमने देखा। गढ़ के ऊपर मानव निर्मित तालाब है। आज भी उस तालाब में इतनी ऊंचाई पर। पीने का पानी है यह बहुत ही विशेष रही हमारे लिए उसे भी हमने देखा और यह सब कुछ देखने के पश्चात हम नीचे की ओर चल ने लगे ऊपर जाने के लिए 2 घंटे का समय लगा और नीचे आने के लिए 1 घंटे का समय हमारे लिए भी गया ट्रैकिंग में डॉ मंगल मूर्ति धोकटे ,डॉ डॉ के डी गायकवाड़ ,डॉ मंजू संगेपांग , डॉ नारायनकर ,डॉ बी ए मेटिल,चोपड़े सर् मार्गदर्शक के रुप में रहे और अन्य छात्र छात्राएं हमारे साथ में रहे इन छात्रों के द्वारा यह सफर बहुत ही यह सफर बहुत ही महत्वपूर्ण रहा इसका आयोजन करने वाले समन्वयक डॉ शिवाजी मस्के सर् को मैं बहुत ही धन्यवाद देता हूं साथी जो छात्र ट्रेकिंग में सम्मिलित हुए उनको भी मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूं सभी को फिर एक बार धन्यवाद आप भी आइए यात्रा कीजिए इस प्रकार से यात्रा करने से अनूठा आनंद हमें प्राप्त होता है।
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