बुद्ध भूमि की यात्रा करने 103 बौद्ध भिक्षु थाईलेंड पैदल भारत

 

भगवान बुद्ध के दर्शन को थाईलैंड से पैदल आए 103 बौद्ध भिक्षु, शुक्रवार को पहुंचेंगे लुम्बिनी  



प्रयागराज व साकेत धाम अयोध्या का कर चुके हैं दर्शन 
थाईलैंड से हवाई सफर कर 15 दिसंबर को कोलकाता पहुंचने के बाद बौद्ध भिक्षु वहां से पैदल ही बौद्ध सर्किट के तीर्थ स्थलों का दर्शन करने निकले हैं। कोलकाता से सारनाथ, बोधगया, वाराणसी के बाद यह भिक्षु पैदल ही तीर्थनगरी के नाम से मशहूर प्रयागराज पहुंच संगम में स्नान किए। वहां से कौशाम्बी, फर्रूखाबाद, हरदोई, सीतापुर, श्रावस्ती होते हुए साकेत नगरी अयोध्या पहुंचे। भगवान श्रीराम का दर्शन करने के बाद आजमगढ़ के रास्ते पैदल ही तथागत बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर पहुंच पूजा-अर्चन किया। वहां से पैदल ही लुम्बिनी के लिए निकले हैं। 

पैदल यात्रा में सहारा बना गूगल मैप
थाईलैंड के तीर्थ यात्रियों के दल के गाइड के रूप में कोलकाता से ही साथ-साथ आ रहे श्रावस्ती के विश्वनाथ व बोधगया के केदार ने बताया कि यात्रियों का यह दल गूगल मैप के सहारे असली भारत के गांव-खेत, खलिहान के रास्ते पैदल यात्रा कर रहे हैं। पकड़ी दीक्षित, परसा खुर्द गांव के रास्ते तरकुलवा तिवारी पहुंचे। गाइड विश्वनाथ ने बताया कि दल के साथ दो ट्रक भी हैं, जिनमें राशन व टेंट समेत अन्य प्रशाधन के समान हैं। हर दिन 40 किमी पैदल यात्रा करते हैं। गाइड, बावर्ची व अन्य सहयोगी ट्रक से चलते हैं। 

सरसो के फूल लदे खेतों को देख आह्लादित हैं बौद्ध भिक्षु 
गाइड विश्वनाथ ने बताया कि बौद्ध तीर्थ स्थलों का दर्शन का अभिलाषा लेकर 105 दिन की पैदल यात्रा पर निकले यह बौद्ध भिक्षु यहां की संस्कृति, सरसो के फूलों से लदे खेत देख आह्लादित हैं। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली का दर्शन करने के बाद बिहार के रमपुरवा में अशोक स्तंभ देखने जाएंगे। वहां से अरेराज, केसरिया, वैशाली, पटना, राजगीर होते हुए 25 मार्च को बोधगया पहुंचेंगे। वहां तीर्थ यात्रा का अंतिम पड़ाव होगा। बोधगया से थाईलैंड वापस चले जाएंगे।

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