ब्राह्मी लिपि (धम्म लिपि)
ब्राह्मी लिपि हमारे देश की सबसे प्राचीन और अध्यापक रिध्दि मानी जाती है इस लिपि में सारी भाषाओं की स्रोत जननी के रूप में इसे जाना जाता है इसका इतिहास अगर देखा जाए तो हजारों वर्ष पहले इस लिपि का आरंभ भारत में हुआ और हमारे प्राचीन पुरुषों ने इसकी खोज की और इसका विकास जो हुआ रविकांत इसका विकास जो हमें दिखाई देता है वह सम्राट अशोक के कालखंड में इसका विकास शिलालेखों के लिए इसका उपयोग किया गया आज के दौर में ब्राह्मी लिपि को ही धम्मदीप पी वि सम्राट अशोक ने कहा है इसलिए इस लिपि में जो भी इतिहास छिपा है उस इतिहास को खोज कर निकाला हमारा सबसे बड़ा फर्ज बनता है इसके लिए जी-जान मेहनत करेंगे और इस लिपि का समर्थन करेंगे इस लिपि को मायाजाल स्रोत पर यानी कि इंटरनेट पर एक पाउंड के रूप में इसका उपयोग किस प्रकार से हो जाए और जो प्राचीन शिलालेख है उसे पढ़ने के लिए भी हमारे लिए एक सबसे बड़ा माध्यम यह लिपि हो सकती है इसलिए मैं चाहता हूं कि बहुत सारे लोग आए और इस लिपि को अपना हम संगमेश्वर महाविद्यालय में जून महीने से ब्राह्मी लिपि वर्ग का आयोजन कर रहे हैं इस लिपि का अध्ययन करने के लिए जो भी व्यक्ति या जो भी श्रोता आएगा उसका हम स्वागत करेंगे 12वीं कक्षा तक योग्यता जिसकी है या उसके आगे उसकी योग्यता है इस लिपि को अवगत कराने के लिए वे अपना दाखिला प्रस्तुत कर सकते हैं उन सभी श्रोताओं का हम तहे दिल से स्वागत करते हैं
Comments
Post a Comment