एक दिवसीय औरंगाबाद यात्रा
एक दिवसीय औरंगाबाद की यात्रा का आयोजन हिंदी विभाग संगमेश्वर महाविद्यालय की ओर से 5 जनवरी 2020 को आयोजन किया गया था इसमें कुल 12 छात्रों ने हिस्सा लिया सबसे पहले हम गए औरंगाबाद औरंगाबाद में हमने पहला जो क्षेत्र है देखने लायक वह है अजंता लेणी के उस समूह एक से लेकर 26 लेणी समूह का यह दो दूसरी शताब्दी में बना यह लेणी समूह एक से 26 तक का पूरा चित्रकारी पत्थर को तराशा कर इसे बनाया गया है यह विश्व धरोहर के रूप में भी यह बहुत ही प्रसिद्ध है और लाखों सैलानी लाखों पर्यटक देश विदेश से इस क्षेत्र को देखने के लिए आते हैं यह हमारे देश के लिए और महाराष्ट्र के लिए विशेष रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है इसका संरक्षण होना संवर्धन होना बहुत ही आवश्यक है महाराष्ट्र सरकार में विनती करना चाहूंगा कि औरंगाबाद जाने के लिए जो रास्ता बन रहा है उस ठीक है लेकिन लेनी के बाजू में से जब हम बाहर निकलते हैं तो ऊपर ही पड़ाव पर रास्ता बहुत ही खराब है जब हम औरंगाबाद वापस आ रहे हैं तो इसका सामना करना पड़ा तो यह जल्दी ही जल्द ठीक होने की संभावना है हम आशा करते हैं यह रास्ता जल्दी ठीक हो जाए उसके बाद हम आए जहां एक बहुत ही अच्छा लुक उत्तरा विहार इंटरनेशनल विहार जो बन गया है उसे भी हमने देखा वहां पर भगवान बुद्ध की बहुत ही बड़ी मूर्ति स्थापित की गई है वहीं कु ट्रेनिंग सेंटर के रूप में भी जाना जाता है यह बहुत ही अच्छा का वहां का रूप में दिखाई दिया इसे देखकर हमारा मन बहुत ही प्रसन्न हुआ उसके बाद हम चले गए बीबी का मकबरा औरंगजेब की पत्नी का यह स्मारक है उनके बेटे ने बनवाया गया मां की याद में बनवाया गया यह बहुत ही बड़ा स्मारक है दिखाई देता है अजन्ता का यह रूप है लेकिन अजन्ता का रूम अलग है और बीवी का मकबरा जो है मुगलकालीन कलाकृति यहां में दिखाई देती है चारों ओर चार खंभे है और समाधि जो है और घर के रूप में यह समाधि बनाई गई है वहां पर लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए कुछ पैसे फेंक देते हैं ठीक है अपनी-अपनी राय होती है श्रद्धा होती है उसके अनुसार लोग वहां पैसे थे उसके बाद हम चले गए पवन चक्की जहां पर पहले जमाने में बनाया गया यह बीज निर्मिती का बहुत ही अच्छा बहुत ही अच्छा चाहिए रूप है जिसके द्वारा अलग-अलग प्रयोग जमाने में किए जाते थे लेकिन आज यह पवन चक्की जो है उसका कुछ उपयोग जो है नहीं होता है केवल लोगों को दर्शन के लिए दिखाने के लिए यह आज रखा गया है जिसे देखकर हमारा मन भी बहुत ही प्रसन्न हुआ औरंगाबाद शहर में देखने लायक तो बहुत है दौलताबाद का किला है उसे भी देखना बहुत ही अच्छा महसूस होता उसके बाद पीपल एजुकेशन सोसायटी द्वारा स्थापित मिलिद महाविद्यालय नागसेन है मराठवाड़ा डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठ गेट गेट के पास जाकर अपने जो भी पल है अनमोल पल हमने बहुत ही अच्छा लगा बहुत ही सुंदर यह सफर रहा बहुत ही मुझे तो आनंद की अनुभूति हो गई यह सब देखते देखते हम अपने विश्व में खो गए थे ऐसा लग रहा था कि वापस लेकिन कुछ सीमाएं होती है एक दिन का पूरा हमारा सफर था /
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