मुकनायक पाक्षिक शताब्दी

मुख्य नायक डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर जीने 1920 में समाज की चेतना विद्रोह प्रकट करने हेतु इस पक्षी का आरंभ 31 जनवरी 1920 में पहला अंक प्रकाशित किया था इसके संपादक पांडुरंग नंदराम हटकर  उस समय डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर  की धन हम कॉलेज में प्रोफेसर थे इसलिए उन्हें खुलेआम संपादक पद पर काम करना आसान नहीं था इसलिए उन्होंने मुख्य नायक के व्यवस्थापक पद पर ज्ञानदेव ध्रुवनाथ घोलप  की नियुक्ति की थी प्रथम अंक में मनोगत नामक अग्रलेख डॉक्टर अंबेडकर जी ने लिखा था बाद में 13 अंकों में उन्होंने लेखन किया था मु कराएं के लिए छत्रपति राजर्षी शाहू महाराज ने ₹2500 सहयोग किया था डॉक्टर अंबेडकर जी ने को मराठी में मुंबई से उसे प्रकाशित किया था मुख्य का उद्देश्य दलित पीड़ित शोषित जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाना था तथा जनता को जागृत करना था डॉक्टर अंबेडकर जी द्वारा चाहते थे कि राजनीतिक शिक्षा  ज्ञान प्राप्त करके सभी का उद्धार करना उनका लक्ष्य था 5 जुलाई 1920 में डॉक्टर अंबेडकर जी आगे की शिक्षा प्राप्त करने हेतु लंदन चले गए 31 जुलाई 1920 से मुख्य नायक का संपादक पद ज्ञानेश्वर ध्रुव नाथ घोलप के पास था वर्तमान परिस्थिति में मूकनायक के 19 अंक उपलब्ध है इसमें डॉक्टर अंबेडकर जी का वैचारिक लेखन उपलब्ध है मुख्य नायक ने सामाजिक धार्मिक राजनीतिक क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया है मुख्य नायक में विविध विचार वर्तमान चार चुने हुए पत्र परी क्षेत्र से समाचार कुशल प्रश्न शेला पागोटे आदिवासी साहित्य है 19 सौ 23 में बंद हो गया आज 31 जनवरी को 2020 को मुख्य को 100 साल पूरे हो चुके हैं इसलिए मुख्य नायक वर्तमान परिस्थिति में उस समय की परिस्थिति किस प्रकार की थी समाज की अन्याय अत्याचार की पीड़ा को किस प्रकार से समाचार के माध्यम से पत्रकारिता के माध्यम से इस प्रकार से आगे ले जाना चाहते थे इसका लेखा-जोखा आंदोलन के रूप में आज हमारे सामने उपस्थित है आज हम चाहते हैं कि मुख्य ना आए जिन लोगों को वाणी नहीं थी जो बोलना नहीं जानते थे बोलना चाहते थे लेकिन बोलने के लिए मजबूर है बोलने के लिए वाणी नहीं थी उन्हें वाणी देने का काम मुख्य नायक के माध्यम से 1920 में अंबेडकर जी ने उसे आरंभ किया था आज उसे 100 साल पूरे हो रहे आइए हम उसके बारे में चिंतन करें मुख्य नायक के बारे में अध्ययन करें उसके बारे में विश्लेषण करें उन्होंने लिखे हुए सारे के सारे ागले आज भी वा चनीय है उसके ऊपर हम विचार कर सकते हैं समाज को आगे ले जा सकते हैं भारत को उज्जवल बना सकते हैं सारे लोगों की आशाएं इस मुख्य नायक में है आज भी मुख्य नायक उसी प्रकार से 100 साल के बाद भी आवाज दे रहा है आइए अन्याय अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करें संघर्ष करें

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