छपाक फिल्म की समीक्षा

आज के दौर में फिल्मों में जो दिखाया जा रहा है वास्तविकता जो दिखाई दी जा रही है मेरे ख्याल से बहुत ही अच्छा लग रहा है छपाक फिल्में भी ऐसी है आज के दौर में हमारे समाज में माता-पिता ओं के द्वारा अपने बच्चों के किए जाने वाले हर कार्य पर किस प्रकार से अंधे का किया जाता है किस प्रकार से अपने बच्चों पर उंगली उठाई जाती है छोटा या मोटा किस प्रकार का भी काम किए हैं काम के लिए अपने बच्चों के ऊपर विश्वास नहीं किया जाता बच्चों पर किए गए हर काम पर किसी न किसी प्रकार का सेक्स किया जाता है बच्चों का दोस्त हूं ना रहते हुए भी उनके ऊपर किसी भी प्रकार का दोषारोपण किया जाता है बच्चे आज ऐसी अवस्था में गुजर रहे हैं कि किसी भी प्रकार का उनका दोषारोपण ना होने के बावजूद भी आज बच्चों के ऊपर इस प्रकार का अन्याय हो रहा है अत्याचार हो रहा है और उसी का प्रतिबिंब में छपा में भी हमें देता है जो कि जो छात्र हमेशा हमेशा के लिए अपनी सावधानी के कारण अपने प्रगति के लिए अपनी योग्यता दिखाने के लिए प्रयास करता है आगे बढ़ता है कोशिश करता है लेकिन उसकी कोशिश करने के बावजूद भी उसके साथ किस प्रकार से हार होती है उसका किसी भी प्रकार का दोष ना होते हुए भी उसके साथ किस प्रकार से अन्याय अत्याचार हमारे देश में हो रहा है अखिल मानव जाति के लिए स्त्री जाति के लिए नारी जाति के लिए यह सब से सबक है आज श्री असुरक्षित है चाय स्कूल हो जाए कहीं पर भी हो सुरक्षित नहीं है किसी को यह दर्शाता है कि आज सदियों के बाद भी हमारी नारी जो कि पवित्र है उसका पवित्र जीवन आज बहुत ही खतरे में है इस फिल्म के माध्यम से सपा के माध्यम से दीपिका पादुकोण ने बहुत ही अच्छे ढंग से इसे निभाने का प्रयास किया है अन्य सारे कलाकारों ने भी बहुत ही अच्छा काम किया है इसके लिए सभी धन्यवाद के पात्र हैं धन्यवाद

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