साहित्यिक लिखते हैं

साहित्यिक लिखते क्यों है इसका अर्थ अगर हम जानेंगे देखेंगे तो हमें पता चलेगा साहित्यिक अपनी क्षमता को समृद्ध करने के लिए अपनी मन की चेतना को समृद्ध करने के लिए दुख दर्द बेचैनी पीड़ा को प्रकट करने के लिए शब्दों के माध्यम से कागज पर लिखता है जब कागज पर लिखता है तो पूरा का पूरा साहित्य बन जाता है साहित्यकार का सबसे बड़ा फर्क यह बनता है उसे समाज में दिखाई देने वाली हर एक समस्या को शब्द के द्वारा वाणी के द्वारा उसे अर्थ देने का काम साहित्यकार करता है साहित्यकार अपनी सृजनशीलता किरण अपनी योग्यता के बल के कारण साहित्य कृति का निर्माण करता साहित्य कृति सदियों के लिए वो काम में आती है आने के बाद हमें पता चलता है कि यह तो हमारा सारा समाज का ही प्रतिबिंब है साहित्य और साहित्य क्या हो सकता है साहित्य तो समाज के द्वारा समाज के लिए लिखा गया समाज का प्रबोधन करने हेतु लिखा गया तो साहित्य होता लेकिन इसे पढ़ने का काम हमें करना बहुत ही आवश्यक है आज के दौर में अगर देखा जाए तो बहुत सारे लोग मोबाइल टीवी इंटरनेट आदि समस्याओं में आदि जंजाल में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं है ऐसा कहा जाता है जो पढ़ेगा लिखेगा वही आगे बढ़ेगा लेकिन आज जमाना इतना बदल चुका है कि लोग पढ़े बगैर बिजी रहे हैं आगे बढ़ रहे हैं लेकिन उन्हें जीवन का अनुभव जो आना चाहिए वह जीवन का अनुभव नहीं आए जीवन का अनुभव हमें साहित्य के द्वारा रचना के द्वारा किसी का जीवन चरित्र पढ़ने के बाद उनका जीवन संघर्ष हमें साहित्य के माध्यम से ही पता चलता है इसलिए हमारा फर्ज बनता है दिन में एक किताब तो जरूर पढ़ना चाहिए कम से कम एक किताब पढ़ने के बाद हमें जो कुछ भी अच्छा लगे उसके बारे में हमें लिखना चाहिए लेकिन एक ही आदत है मैं डाल देनी चाहिए संस्मरण लिखने चाहिए यात्रा वृत्तांत में लिखना चाहिए चाहे अनुभव कटु हो चाहे अनुभव अच्छे हो सुख दुख तो यह सारे के सारे अनुभव हमें लिखने के बाद पता चलेगा कि जीवन कितना कठिन है उसे हम सहज ले लेते हैं इसे सहज लेते समय यह बात ध्यान में लेना चाहिए कि जिस प्रकार से पौधे बढ़ते हैं एक शाखा वृक्ष देने के लिए तैयार हो जाता है और उस शाखा की गोद में बैठकर बहुत सारे लोग आया का आनंद लेते हैं ठीक उसी प्रकार किताब मेरी आनंद की गंध हमें प्राप्त होती है इसीलिए तो साहित्यकार अपनी मन की चेतना को अपनी मन की भावना को एकाग्र करते हुए यह सारा का सारा साहित्य लिखता है बस उसे पढ़ना हमारा फर्ज है चलो हम पढ़ने का संकल्प करें एक दूसरे को बोले कि आज हम किताब पढ़े किताब पढ़े किताब पढ़ने के बाद जो ज्ञान अर्जित होता है ज्ञान बाटे दूसरों को बांटे छात्रों को बांटे जो भी आता है उसे ज्ञान संक्रमण करना हमारा फर्ज बनता है इसलिए हमें पढ़ना जरूरी है पढ़ना जरूरी है

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