रीतिकालीन कवि भूषण का परिचय
रीतिकालीन कवि भूषण का परिचय निम्नलिखित है:
👑 कवि भूषण: परिचय
मूल जानकारी
· जन्म: 1613 ई. (कानपुर जिले का तिकवापुर गाँव)
· मृत्यु: 1715 ई.
· वास्तविक नाम: ईश्वरवर्मा
· भाषा: ब्रजभाषा
· विशेषता: शिवाजी और छत्रसाल के प्रसिद्ध आश्रयी कवि
📚 प्रमुख रचनाएँ
रचना विषय विशेषता
शिवराजभूषण छत्रपति शिवाजी की प्रशस्ति 52 कवित्तों और 52 सवैयों में वीर रस का वर्णन
शिवाबावनी शिवाजी की वीरता 52 छंदों में रचित वीर रस प्रधान काव्य
छत्रसाल दशक छत्रसाल की वीरता दशक छंद में रचित प्रशस्ति
⚔️ साहित्यिक विशेषताएँ
1. वीर रस के प्रमुख कवि
· रीतिकाल में श्रृंगार रस की प्रधानता के बावजूद वीर रस को प्रमुखता दी
· युद्ध के मार्मिक और जीवंत चित्र प्रस्तुत किए
· प्रसिद्द उदाहरण:
"कहा बीर तुम्हारो बखानौं, भूषण भनत मुख से रानौं।
जिनके बाहुबल से बिदारे, सकल महीपति होत बिदारे॥"
2. अलंकार योजना
· उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का सहज प्रयोग
· वीर रस के अनुरूप अलंकारों का चयन
3. भाषा शैली
· ओजपूर्ण ब्रजभाषा का प्रयोग
· तत्सम शब्दों की अधिकता
· प्रभावशाली और ओजस्वी Expression
🏆 ऐतिहासिक महत्व
भूषण की त्रिशूली
भूषण ने तीन शक्तिशाली रचनाओं के माध्यम से अपनी काव्य-शक्ति का प्रदर्शन किया:
1. शिवराजभूषण - शिवाजी की वीरता
2. शिवाबावनी - शिवाजी की शक्ति
3. छत्रसाल दशक - छत्रसाल की प्रशंसा
राजाश्रय
· शिवाजी के दरबार में सम्मानित
· छत्रसाल (बुंदेला शासक) के आश्रय में रचनाएँ
· मुगलों के विरुद्ध हिंदू शासकों की वीरता का गुणगान
🌟 विशेष योगदान
1. रीतिकाल में वीर रस की पुनर्स्थापना
2. राष्ट्रीय चेतना का संचार
3. हिंदू शासकों के गौरव का वर्णन
4. ऐतिहासिक घटनाओं का काव्यात्मक विवरण
💫 मूल्यांकन
भूषण रीतिकाल के उन विरले कवियों में हैं जिन्होंने श्रृंगार प्रधान युग में वीर रस की धारा प्रवाहित की। उनकी कविता में देशप्रेम, वीरता और राष्ट्रगौरव की भावना स्पष्ट झलकती है। वे न केवल एक कवि थे, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतना के वाहक भी थे।
भूषण का प्रसिद्द कथन:
"सरजा साहस सील सुभाऊ, भूषन प्रगट किए बड़ाऊ।"
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