सन्नति बौद्ध स्थल: एक परिचय-प्रो डॉ संघप्रकाश दुड्डे


 सन्नति बौद्ध स्थल: एक परिचय

सन्नति भारत के कर्नाटक राज्य के कलबुर्गी (गुलबर्गा) जिले में स्थित एक गाँव है, जो भीमा नदी के तट पर अवस्थित है . यह स्थल मुख्य रूप से एक प्राचीन बौद्ध केंद्र के रूप में जाना जाता है। हाल के वर्षों में यहाँ हुई खुदाइयों ने इसे देश के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक बना दिया है। शोधकर्ताओं ने इस स्थल की अप्रयुक्त पर्यटन क्षमताओं पर भी प्रकाश डाला है .

 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं कालक्रम

इस स्थल का समृद्ध इतिहास है, जो लगभग दो हज़ार वर्ष पुराना है . माना जाता है कि इसके विकास के तीन प्रमुख चरण रहे :

· मौर्य काल (तीसरी शताब्दी ई.पू.): इस काल में स्तूप के मूल ढाँचे का निर्माण हुआ।
· प्रारंभिक सातवाहन काल: इस दौरान स्थल का विस्तार और विकास हुआ।
· उत्तर सातवाहन काल (तीसरी शताब्दी ई. तक): इस चरण में स्थल ने अपना वर्तमान स्वरूप प्राप्त किया।

 प्रमुख पुरातात्विक खोजें

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 1994 से 2001 के बीच किए गए उत्खनन में कई महत्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए :

· सम्राट अशोक का शिलालेख एवं प्रतिमा: यहाँ से 2000 साल पुराना अशोक का शिलालेख और एक पत्थर की मूर्ति मिली है . इस मूर्ति को मौर्य सम्राट अशोक की एकमात्र जीवित प्रतिमा माना जाता है, जिस पर ब्राह्मी लिपि में 'राय अशोक' उत्कीर्ण है . यह विशेष इसलिए है क्योंकि इसमें अशोक को उनकी रानियों और महिला परिचारकों से घिरे हुए दर्शाया गया है , जो इसे देश में अपने परिवार के साथ अशोक की छवि वाला एकमात्र स्थान बनाता है .
· अधोलोक महाचैत्य (स्तूप): इस स्थल पर एक महास्तूप की खोज की गई, जिसे शिलालेखों में 'अधोलोक महाचैत्य' (पाताल लोक का महान स्तूप) कहा गया है . इस स्तूप का निर्माण स्थानीय चूना पत्थर से किया गया था . माना जाता है कि यह स्तूप किसी भूकंप में नष्ट हो गया था .
· अन्य महत्वपूर्ण कलाकृतियाँ:
  · बुद्ध, यक्ष, सिंह और सातवाहन सम्राटों की मूर्तियाँ .
  · जातक कथाओं का मूर्तिकलात्मक प्रतिपादन .
  · विभिन्न धर्म चक्रों से सजाए गए 72 मृदंग पट्टियाँ (Drum-Slabs) .
  · अशोक द्वारा विभिन्न भागों में भेजे गए बौद्ध मिशनरियों के अद्वितीय चित्रण .

सन्नति शिलालेख कर्नाटक के कलबुर्गी ज़िले में स्थित एक प्राचीन बौद्ध स्थल से प्राप्त हुए हैं, जिनमें सम्राट अशोक के अभिलेख और उनकी एकमात्र ज्ञात जीवित प्रतिमा शामिल है । यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षण कार्य के कारण हाल ही में चर्चा में रहा है ।

 शिलालेखों के बारे में मुख्य बातें

· स्थान: कर्नाटक के कलबुर्गी (गुलबर्गा) ज़िले में सन्नति और कनगनहल्ली गाँव, भीमा नदी के तट पर ।
· खोज का इतिहास: 1986 में चंद्रलांबा मंदिर में हुए एक हादसे के बाद अशोक के पहले शिलालेख प्रकाश में आए . इसके बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 1994 से 2001 के बीच यहाँ व्यवस्थित उत्खनन करवाया ।
· शिलालेखों की प्रकृति: यहाँ अशोक के कुल 14 प्रमुख शिलालेख और दो पृथक शिलालेख मिले हैं . ये शिलालेख प्राकृत भाषा में ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण हैं ।
· सम्राट अशोक की प्रतिमा: इस स्थल से अशोक की एक पत्थर की मूर्ति प्राप्त हुई है, जिसमें उन्हें अपनी रानियों और परिचारिकाओं से घिरे दर्शाया गया है . मूर्ति पर 'राय अशोक' उत्कीर्ण है, जिसे सम्राट अशोक की एकमात्र जीवित छवि माना जाता है ।
· अन्य महत्वपूर्ण खोज: उत्खनन में एक महास्तूप के अवशेष मिले हैं, जिसका निर्माण स्थानीय चूना पत्थर से किया गया था और शिलालेखों में इसे 'अधोलोक महाचैत्य' कहा गया है . साथ ही, जातक कथाओं, सातवाहन राजाओं के चित्रण वाली कलाकृतियाँ भी मिली हैं ।

 ऐतिहासिक संदर्भ और महत्व

माना जाता है कि इस स्थल का विकास तीन चरणों में हुआ – मौर्य काल, प्रारंभिक सातवाहन काल और उत्तर सातवाहन काल – जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक फैला हुआ है . ये शिलालेख और कलाकृतियाँ मौर्य सम्राट अशोक के जीवन, तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था और बौद्ध धर्म के इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालती हैं .

 संरक्षण की स्थिति

हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस स्थल के संरक्षण के लिए एक नई परियोजना शुरू की है . इसके तहत महास्तूप के अवशेषों को उनके मूल स्थान पर पुनर्स्थापित करने और आयक (Ayaka) प्लेटफार्मों के पुनर्निर्माण की योजना बनाई गई है .
सन्नति में पाए गए शिलालेख प्राकृत भाषा में हैं और ये ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण हैं। इन शिलालेखों में सम्राट अशोक के धम्म के आदेश और बौद्ध धर्म से जुड़े सिद्धांत लिखे हैं।

शिलालेखों की भाषा और लिपि

सन्नति के शिलालेखों से जुड़ी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

पहलू विवरण
भाषा प्राकृत
लिपि ब्राह्मी
समय काल मौर्य काल (लगभग तीसरी शताब्दी ई.पू.)
 शिलालेख का अर्थ और महत्व

ऐतिहासिक संदर्भ : सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और अपने पछतावे तथा धम्म के सिद्धांतों को पूरे साम्राज्य में शिलालेखों के माध्यम से फैलाया। सन्नति में मिले शिलालेख इसी परंपरा का हिस्सा हैं।

मुख्य विषय-वस्तु : अशोक के शिलालेखों में बौद्ध धर्म की बारीकियों से ज़्यादा आदर्श जीवन जीने की सीख पर ज़ोर दिया गया है। इनमें अहिंसा, समाज की भलाई, पिता-माता की आज्ञा का पालन, सादगी और सच्चाई जैसे सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत बताए गए हैं।

विशिष्ट उदाहरण : एक शिलालेख में अशोक कहते हैं - "मेरा साम्राज्य बहुत बड़ा है, बहुत लिखा गया है, और बहुत नित्य लिखवाऊंगा"। यह उनके धम्म विजय (धर्म की जीत) के प्रति समर्पण को दर्शाता है, जिसे वह सबसे उत्तम जीत मानते थे।

अनोखी खोज : सन्नति से 'राय अशोक' उत्कीर्ण सम्राट अशोक की एक पत्थर की मूर्ति भी मिली है, जिसे उनकी एकमात्र जीवित प्रतिमा माना जाता है। यह मूर्ति शिलालेखों के साथ मिलकर अशोक के जीवन और उस काल की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है।

हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऐतिहासिक धरोहर के सामने बुनियादी सुविधाओं के अभाव और विकास योजनाओं के कार्यान्वयन जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं .

 भौगोलिक स्थिति एवं संदर्भ

सन्नति बौद्ध स्थल कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में कनगनहल्ली (जो सन्नति स्थल का ही एक हिस्सा है) के पास भीमा नदी के तट पर स्थित है . इस क्षेत्र में कई अन्य ऐतिहासिक स्मारक भी हैं, जैसे:

· मलखेड़ किला (1100 वर्ष पुराना)
· नागवी का घटिकास्थान (1000 वर्ष पुराना, जिसे दक्षिण का तक्षशिला कहा जाता है)
· कलबुर्गी का बहमनी किला (700 वर्ष पुराना) 

 संरक्षण की स्थिति एवं चुनौतियाँ

हालाँकि यह स्थल ऐतिहासिक रूप से बहुत समृद्ध है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ हैं:

· उपेक्षा और बदहाली: विस्तृत योजना के अभाव में यह स्थल बदहाली के कगार पर पहुँच गया है .
· बुनियादी सुविधाओं का अभाव: पर्यटकों के लिए पर्याप्त पेयजल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है .
· वित्तीय संसाधनों की कमी: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) कर्मचारियों की कमी और अपर्याप्त अनुदान से जूझ रहा है .
· जटिल प्रक्रियाएँ: ASI के सख्त नियम और जटिल प्रक्रियाएँ संरक्षण और विकास के कार्यों में बाधक बन रहे हैं .

 संरक्षण के प्रयास एवं भविष्य की योजनाएँ

हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस स्थल के संरक्षण के लिए कार्य शुरू किया है . नई संरक्षण परियोजना के तहत निम्नलिखित कार्यों की परिकल्पना की गई है :

· खुदाई में प्राप्त महास्तूप के अवशेषों को उनके मूल स्थान पर पुनर्स्थापित किया जाएगा।
· समान आकार और बनावट की नवनिर्मित ईंटों का उपयोग करके आयक (Ayaka) प्लेटफार्मों के पुनर्निर्माण का कार्य किया जाएगा।

इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन द्वारा जिले के प्रमुख स्थानों पर पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी बोर्ड लगाने जैसी योजनाएँ भी बनाई गई हैं .

 निष्कर्ष

सन्नति का बौद्ध स्थल भारतीय इतिहास, विशेष रूप से मौर्य काल और बौद्ध धर्म के इतिहास को समझने की दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। सम्राट अशोक की एकमात्र जीवित प्रतिमा होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। हालाँकि, वर्तमान में यह स्थल उपेक्षा और बदहाली का शिकार है, लेकिन ASI द्वारा शुरू किए गए संरक्षण कार्य और भविष्य की योजनाएँ इसकी दशा सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। उचित संरक्षण और विकास के प्रयासों से यह स्थल न केवल एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभर सकता है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए हमारी ऐतिहासिक विरासत को सुरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।


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