उसने कहा था कहानी की समीक्षा कीजिए
"उसने कहा था" - चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की कालजयी कहानी की समीक्षा
📖 कहानी का परिचय और ऐतिहासिक संदर्भ
"उसने कहा था" हिंदी साहित्य की सर्वाधिक चर्चित और श्रेष्ठ कहानियों में से एक है जिसके रचयिता चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' (1883-1922) हैं। यह कहानी सन् 1915 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई थी और आधुनिक हिंदी कहानी के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुई। इस कहानी को हिंदी की पहली सशक्त कहानी माना जाता है जिसने हिंदी कहानी को परंपरागत ढाँचे से मुक्त कर आधुनिक बनाया।
कहानी का केंद्रीय विषय प्रेम, बलिदान और मित्रता की अमर भावना है जो प्रथम विश्वयुद्ध के पृष्ठभूमि में रची-बसी है। गुलेरी जी ने इस कहानी में पंजाब के सामाजिक जीवन और सैनिकों की मनोदशा का सजीव चित्रण किया है।
🎭 कथानक और संरचना
कहानी की शुरुआत लाहौर के एक स्कूल से होती है जहाँ तीन मित्र - लहना सिंह, वज़ीर सिंह और हुकम सिंह पढ़ते हैं। कहानी में दो समयांतराल हैं - एक स्कूल का समय जब वे बच्चे हैं और दूसरा प्रथम विश्वयुद्ध का समय जब वे सैनिक बन चुके हैं।
कहानी का नायक लहना सिंह है जो अपने मित्र वज़ीर सिंह की पत्नी (जिससे बचपन में लहना सिंह भी प्रेम करता था) और बच्चे की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग देता है। कहानी का शीर्षक "उसने कहा था" इसी बलिदान की ओर संकेत करता है - लहना सिंह ने बचपन में वज़ीर सिंह से कहा था कि वह उसके लिए अपनी जान दे देगा।
कहानी की संरचना अद्भुत है - वृत्तांत शैली में लिखी गई यह कहानी Flashback तकनीक का प्रयोग करती है और अंत तक पाठक को रहस्य बनाए रखती है।
👥 पात्र चित्रण
गुलेरी ने कहानी के पात्रों का सजीव और यथार्थपरक चित्रण किया है:
1. लहना सिंह: कहानी का नायक जो मित्रता के लिए स्वयं का बलिदान दे देता है। वह निस्वार्थ प्रेम और सच्ची मित्रता का प्रतीक है।
2. वज़ीर सिंह: लहना सिंह का मित्र जो युद्ध में घायल हो जाता है और अपने परिवार की चिंता करता है।
3. हुकम सिंह: तीसरा मित्र जो कहानी में वृत्तांतकार की भूमिका निभाता है।
गुलेरी ने पात्रों के माध्यम से सामुदायिक सद्भाव का चित्रण किया है - तीनों मित्र अलग-अलग धर्मों (सिख, मुस्लिम और हिंदू) से belong करते हैं पर उनकी मित्रता अटूट है।
🌍 सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
कहानी में पंजाबी समाज का सजीव चित्रण मिलता है:
· स्कूली जीवन और बच्चों की शरारतें
· सामुदायिक सद्भाव और धार्मिक सहिष्णुता
· प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों की भूमिका
· सैनिक जीवन और युद्ध की विभीषिका
गुलेरी ने पंजाबी बोली के शब्दों और मुहावरों का सहज प्रयोग किया है जो कहानी को यथार्थपरक बनाता है।
🖋️ भाषा-शैली और कलात्मकता
गुलेरी की भाषा-शैली इस कहानी की सबसे बड़ी strength है:
1. संवाद योजना: कहानी में संवाद अत्यंत स्वाभाविक और प्रभावी हैं। बच्चों के संवाद उनकी मनोदशा के अनुरूप हैं।
2. वर्णनात्मक शैली: गुलेरी ने युद्धक्षेत्र के दृश्यों का इतना सजीव वर्णन किया है कि पाठक स्वयं को वहाँ महसूस करता है।
3. बिम्ब और प्रतीक: कहानी में कई सार्थक बिम्बों का प्रयोग हुआ है जैसे "लहना सिंह का शव" जो मित्रता के बलिदान का प्रतीक बन जाता है।
4. मनोवैज्ञानिकता: पात्रों के मनोभावों का सूक्ष्म विश्लेषण कहानी को गहराई प्रदान करता है।
💡 मूलभावना और संदेश
कहानी की मुख्य भावनाएँ हैं:
· सच्ची मित्रता की महत्ता
· प्रेम में बलिदान की भावना
· मानवीय मूल्यों की श्रेष्ठता
· युद्ध की विभीषिका और उसका मानवीय पक्ष
कहानी का संदेश है कि सच्चा प्रेम और मित्रता धर्म, जाति और व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर होते हैं।
🏆 साहित्यिक महत्व और प्रभाव
"उसने कहा था" का हिंदी साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है:
1. आधुनिक हिंदी कहानी का आरंभ: इस कहानी को आधुनिक हिंदी कहानी का प्रारंभिक और सशक्त उदाहरण माना जाता है।
2. तकनीकी नवीनता: इसमें पश्चिमी कहानीकारों की Flashback तकनीक का प्रयोग किया गया था।
3. यथार्थवादी दृष्टिकोण: इस कहानी ने हिंदी कहानी को रूमानियत और कल्पनाप्रधानता से निकालकर यथार्थवाद की ओर मोड़ा।
4. भाषागत प्रयोग: खड़ी बोली के साथ-साथ उर्दू-पंजाबी शब्दों के समन्वय ने हिंदी कहानी की भाषा को समृद्ध किया।
🔍 समीक्षकों की दृष्टि में
प्रसिद्ध समीक्षक डॉ. नामवर सिंह ने इस कहानी को "हिंदी कहानी के इतिहास में एक क्रांतिकारी मोड़" बताया है। डॉ. रामविलास शर्मा के अनुसार, "गुलेरी की इस एक कहानी ने हिंदी कथा-साहित्य का नक्शा ही बदल दिया।"
✅ निष्कर्ष
"उसने कहा था" हिंदी साहित्य की एक अमर कृति है जो अपनी कलात्मकता, मार्मिकता और मानवीय मूल्यों के कारण आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। गुलेरी ने इस कहानी के माध्यम से न केवल एक मार्मिक कथानक प्रस्तुत किया बल्कि हिंदी कहानी को एक नई दिशा भी दी।
यह कहानी मानवीय संबंधों की गहराई, मित्रता की निस्वार्थ भावना और प्रेम के बलिदान को इतनी सहजता और कलात्मकता से प्रस्तुत करती है कि पाठक लंबे समय तक उसके प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाता। साहित्यिक गुणों और मानवीय मूल्यों के कारण यह कहानी हिंदी साहित्य की अनमोल धरोहर बन गई है।
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