बोधगया महाबोधि महाविहार प्रबंधन कमेटी रूपरेखा
बोधगया महाबोधि महाविहार के प्रबंधन के लिए एक व्यापक और संतुलित कमेटी की रूपरेखा प्रस्तुत है, जो इसके ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखती है।
बोधगया महाबोधि महाविहार प्रबंधन समिति: एक रूपरेखा
बोधगया महाबोधि मंदिर के महत्व (बोधगया, बिहार) को देखते हुए, इसके प्रबंधन की समिति को पारदर्शिता, समावेशिता, विशेषज्ञता, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।
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1. समिति का नाम (Name of the Committee):
बोधगया महाबोधि महाविहार प्रबंधन एवं विकास परिषद (Bodhgya Mahabodhi Mahavihara Management and Development Council - BMMMDC)
2. समिति का उद्देश्य (Objective):
बोधगया महाबोधि महाविहार परिसर के रख-रखाव, संरक्षण, प्रशासन, और उसके धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोगात्मक और पारदर्शी प्रबंधन संरचना स्थापित करना।
3. समिति की संरचना (Structure):
समिति एक 21-सदस्यीय संस्था होनी चाहिए, जिसमें निम्नलिखित श्रेणियों से प्रतिनिधि शामिल हों:
A. पदेन सदस्य (Ex-officio Members - 4 सदस्य):
1. जिला अधिकारी (District Magistrate), गया: अध्यक्ष के रूप में, प्रशासनिक समन्वय सुनिश्चित करने के लिए।
2. महासचिव, बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (वर्तमान संरचना का प्रमुख): संक्रमण और निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए।
3. अपर जिला अधिकारी (ADC), गया: समिति के कार्यों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए।
4. अपर पुलिस अधीक्षक (ASP), गया: परिसर की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार।
B. बौद्ध समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधि (Elected Representatives from Buddhist Community - 9 सदस्य): यह सदस्यताविभिन्न बौद्ध परंपराओं और देशों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी।
· 5 सदस्य: भारत के विभिन्न क्षेत्रों (उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, उत्तर-पूर्व) से भारतीय बौद्ध भिक्षु/भिक्षुणियों या विद्वानों में से निर्वाचित।
· 4 सदस्य: विदेशी बौद्ध परंपराओं का प्रतिनिधित्व (e.g., 1-1 थेरवाद (श्रीलंका/थाईलैंड), महायान (चीन/कोरिया), वज्रयान (तिब्बत/भूटान), और दक्षिण-पूर्व एशिया (म्यांमार/वियतनाम/कंबोडिया) से)।
C. विशेषज्ञ सदस्य (Expert Members - 6 सदस्य):
· पुरातत्वविद (Archaeologist): भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) या किसी प्रतिष्ठित संस्थान से, परिसर के ऐतिहासिक संरक्षण के लिए।
· संरक्षण वास्तुकार (Conservation Architect): संरचनात्मक अखंडता और जीर्णोद्धार परियोजनाओं के लिए।
· पर्यावरणविद/वन अधिकारी (Environmentalist/Forest Officer): बोधि वृक्ष और हरित परिसर के संरक्षण के लिए।
· पर्यटन प्रबंधन विशेषज्ञ (Tourism Management Expert): तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए।
· वित्तीय प्रबंधन विशेषज्ञ (Financial Management Expert): दान और निधियों के पारदर्शी प्रबंधन के लिए।
· कानूनी सलाहकार (Legal Advisor): कानूनी और प्रशासनिक मामलों में मार्गदर्शन के लिए।
D. सदस्य सचिव (Member Secretary - 1 सदस्य):
· एक वरिष्ठ IAS या राज्य सिविल सेवा अधिकारी जिसे समिति द्वारा नियुक्त किया जाएगा, जो दैनिक प्रशासनिक कार्यों और मिनटों का रखरखाव करेगा।
E. अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (International Advisory Board - गैर-मतदान सदस्य):
· UNESCO और विश्व के प्रमुख बौद्ध संगठनों के प्रतिनिधियों को एक सलाहकार निकाय के रूप में शामिल किया जाए, जो नीतिगत मामलों पर सलाह दे सके।
4. चयन प्रक्रिया (Selection Process):
· बौद्ध प्रतिनिधि: एक स्वतंत्र चुनाव आयोग की निगरानी में विभिन्न बौद्ध संघों और संगठनों द्वारा एक पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाएंगे।
· विशेषज्ञ सदस्य: एक नामांकन समिति (जिसमें पदेन और कुछ निर्वाचित सदस्य शामिल हों) द्वारा उनकी qualifications और अनुभव के आधार पर चुने जाएंगे।
· कार्यकाल: सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होगा, जिसमें अधिकतम दो कार्यकाल की अनुमति होगी।
5. समिति के प्रमुख कार्य एवं दायित्व (Key Functions & Responsibilities):
1. रखरखाव और संरक्षण: मंदिर, बोधि वृक्ष, और अन्य स्मारकों का उचित रखरखाव और संरक्षण सुनिश्चित करना।
2. वित्तीय प्रबंधन: दान, सरकारी अनुदान, और अन्य राजस्व का पारदर्शी और जिम्मेदारीपूर्ण प्रबंधन। वार्षिक लेखा परीक्षा अनिवार्य होगी।
3. धार्मिक Activities: पूजा, अनुष्ठान, meditation सत्र, और विशेष अवसरों (जैसे बुद्ध पूर्णिमा) का समन्वय करना, सभी परंपराओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करना,बौद्ध श्रामणेर दीक्षा प्रशिक्षण,बौद्ध भिक्षु ट्रेनिग सेंटर, ukg to PG तक शिक्षा का प्रबंध, होस्टल सुविधा,पालि भाषा अध्ययन ।
4. तीर्थयात्री सुविधाएं: तीर्थयात्रियों के लिए आवास, स्वच्छता, चिकित्सा, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का प्रबंधन।
5. सुरक्षा व्यवस्था: परिसर और visitors की सुरक्षा के लिए एक Robust security plan बनाना और लागू करना।
6. सांस्कृतिक प्रचार: बौद्ध दर्शन और महाबोधि के इतिहास से related seminars, conferences, और प्रदर्शनियों का आयोजन करना।
7. नियम बनाना: परिसर में आचार संहिता, दिशा-निर्देश और नियम बनाना और लागू करना।
6. निर्णय लेने की प्रक्रिया (Decision-Making Process):
· सामान्य निर्णय बहुमत से लिए जाएंगे।
· प्रमुख नीतिगत निर्णय (जैसे बड़े निर्माण, बजट आवंटन) के लिए 2/3 बहुमत की आवश्यकता होगी।
· बैठकें त्रैमासिक आधार पर आयोजित की जाएंगी, और आवश्यकतानुसार अतिरिक्त बैठकें बुलाई जा सकती हैं।
· सभी AGENDA और मिनट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे (ऑनलाइन पोर्टल पर)।
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निष्कर्ष (Conclusion):
यह प्रस्तावित रूपरेखा एक ऐसी संतुलित और लोकतांत्रिक प्रबंधन समिति की स्थापना करती है जो:
· भारतीय प्रशासन के साथ तालमेल बनाए रखती है।
· वैश्विक बौद्ध समुदाय को वास्तविक प्रतिनिधित्व और भागीदारी देती है।
· तकनीकी विशेषज्ञता को शामिल करके परिसर के भविष्य की गारंटी देती है।
· पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
इस model को लागू करने से महाबोधि महाविहार का प्रबंधन एक नए युग में प्रवेश करेगा, जहाँ यह दुनिया भर के बौद्धों की आस्था और आकांक्षाओं का真正 में प्रतिनिधित्व करने वाला एक उज्ज्वल केंद्र बनेगा।
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