प्रयोजनमूलक हिंदी (Functional Hindi): अर्थ, परिभाषा, स्वरूप, गति और विशेषताएँ


प्रयोजनमूलक हिंदी (Functional Hindi): अर्थ, परिभाषा, स्वरूप, गति और विशेषताएँ

1. अर्थ (Meaning)

प्रयोजनमूलक हिंदी का शाब्दिक अर्थ है - "प्रयोजन" (उद्देश्य/मकसद) पर आधारित हिंदी। यह हिंदी की वह शैली है जिसका प्रयोग किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है, जैसे कि नौकरी, व्यवसाय, प्रशासन, तकनीकी कार्य, या शिक्षा। इसका लक्ष्य साहित्यिक अभिव्यक्ति न होकर व्यावहारिक संप्रेषण होता है।

2. परिभाषा (Definition)

प्रयोजनमूलक हिंदी की मानक परिभाषा है: "वह हिंदी है जिसका प्रयोग जीवन के व्यावहारिक और विशिष्ट क्षेत्रों (जैसे- कार्यालय, न्यायालय, व्यवसाय, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, मीडिया आदि) में कामकाज के उद्देश्य से किया जाता है।"

डॉ. रामविलास शर्मा के अनुसार, "प्रयोजनमूलक हिंदी वह है जो अपने प्रयोक्ता के काम आती है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र से सम्बन्ध रखता हो।"

3. स्वरूप (Form/Structure)

प्रयोजनमूलक हिंदी का स्वरूप उसके प्रयोग के क्षेत्र के अनुसार बदलता रहता है। इसके मुख्य स्वरूप हैं:

· शब्दावली: इसमें तत्सम शब्दों के साथ-साथ अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों (जैसे- computer - कंप्यूटर, file - फाइल, report - रिपोर्ट) का खुला प्रयोग होता है।
· वाक्य संरचना: वाक्य प्रायः छोटे, सीधे और स्पष्ट होते हैं। जटिल वाक्यांशों और अलंकारों का प्रयोग नहीं के बराबर होता है।
· शैली: शैली वस्तुनिष्ठ, तथ्यपरक और औपचारिक होती है। भावनात्मकता के लिए कोई स्थान नहीं होता।
· मानकीकरण: इसके स्वरूप को मानक बनाने का प्रयास किया जाता है ताकि पूरे देश में एक जैसी समझ बन सके। उदाहरण के लिए, सरकारी पत्रों का एक निश्चित प्रारूप (Format) होता है।

4. गति (Momentum/Progress)

प्रयोजनमूलक हिंदी की गति अत्यंत तीव्र और गतिशील है। इसके विकास के पीछे मुख्य कारण हैं:

· राजभाषा नीति: भारत सरकार की राजभाषा नीति के कारण केंद्र और राज्य सरकारों के कार्यालयों में इसका प्रसार हुआ है।
· रोज़गार से जुड़ाव: नौकरी के बाजार में हिंदी के ज्ञान की मांग बढ़ी है, जिसने इसे गति दी है।
· मीडिया और विज्ञापन का विस्तार: टीवी, रेडियो, अखबार और डिजिटल मीडिया ने व्यावसायिक हिंदी को बढ़ावा दिया है।
· तकनीकी विकास: कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर, मोबाइल एप्स और इंटरनेट ने हिंदी को नए आयाम दिए हैं और इसकी गति को तेज किया है। (जैसे- हिंदी में ई-मेल, रिपोर्ट लिखना)।
· शिक्षा का प्रसार: विश्वविद्यालयों और coaching centers में प्रयोजनमूलक हिंदी के पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

5. विशेषताएँ (Characteristics)

प्रयोजनमूलक हिंदी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. उद्देश्यपूर्णता: इसका प्रयोग हमेशा एक निश्चित लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया जाता है।
2. व्यावहारिकता: यह जीवन की व्यावहारिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
3. स्पष्टता: इसमें संदेश की स्पष्टता सबसे महत्वपूर्ण होती है। अस्पष्टता के लिए कोई स्थान नहीं होता।
4. संक्षिप्तता: इसमें कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ व्यक्त करने पर जोर दिया जाता है।
5. विषय-वस्तु की प्रधानता: इसमें भाषा की सुंदरता पर नहीं, बल्कि विषय की सही और प्रभावी प्रस्तुति पर ध्यान दिया जाता है।
6. शब्दभंडार में लचीलापन: यह आवश्यकता पड़ने पर अंग्रेजी, उर्दू, या क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों को आसानी से अपना लेती है।
7. मानकीकरण: इसके प्रारूप, शब्दावली और शैली को मानक बनाने का प्रयास किया जाता है।

निष्कर्ष:

प्रयोजनमूलक हिंदी हिंदी भाषा का वह जीवंत और गतिशील रूप है जो इसे रोजगार, प्रशासन और आधुनिक तकनीक से जोड़ती है। यह हिंदी को साहित्य की परिधि से निकालकर जन-जन की व्यावहारिक भाषा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह हिंदी के विकास और विस्तार का एक अनिवार्य अंग है।

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