भारत में पत्रकारिता का आरंभ स्पष्ट कीजिए

भारत में पत्रकारिता का आरंभ 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और राजनीतिक चेतना के विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है। नीचे इसके आरंभ और विकास को स्पष्ट किया गया है।

📜 1. भारत में पत्रकारिता की शुरुआत (1780 ई.)

भारत में पत्रकारिता की शुरुआत जेम्स ऑगस्टस हिकी (James Augustus Hickey) द्वारा 1780 में बंगाल गजट (Bengal Gazette) के प्रकाशन से हुई। इसे "कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर" भी कहा जाता था । यह एक साप्ताहिक अंग्रेजी समाचार पत्र था, जिसमें मुख्य रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों के व्यक्तिगत जीवन, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक नीतियों की आलोचना की जाती थी । हिकी ने अपने पत्र के माध्यम से स्वतंत्र और निडर पत्रकारिता की नींव रखी, जिसके कारण उन्हें "भारतीय पत्रकारिता का पिता" कहा जाता है ।

⚔️ 2. प्रारंभिक चुनौतियाँ और दमन

हिकी के बंगाल गजट ने ब्रिटिश प्रशासन की कड़ी आलोचना की, जिसके परिणामस्वरूप हिकी को कई बार जेल भेजा गया और अंततः 1782 में इस पत्र को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा । ब्रिटिश सरकार ने 1799, 1818 और 1823 में प्रेस एक्ट लागू किए, जिससे पत्रकारिता पर प्रतिबंध लगाया गया और सेंसरशिप को बढ़ावा मिला ।

📰 3. भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता का उदय

19वीं शताब्दी के आरंभ में भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता का विकास हुआ:

· 1821: राजा राममोहन राय ने बांग्ला भाषा में संवाद कौमुदी का प्रकाशन शुरू किया ।
· 1822: गुजराती भाषा का मुंबई समाचार प्रकाशित हुआ, जो आज भी एशिया का सबसे पुराना समाचार पत्र है ।
· 1826: हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा कलकत्ता से प्रकाशित किया गया, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों के कारण यह अधिक समय तक नहीं चल सका ।

🗞️ 4. राष्ट्रीय जागरण और पत्रकारिता का विकास

19वीं शताब्दी के मध्य में पत्रकारिता ने राष्ट्रीय जागरण और सामाजिक सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:

· भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे लेखकों ने हिंदी पत्रकारिता को नई दिशा दी ।
· 1878: वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू किया गया, जिससे भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों की आवाज़ दबाने का प्रयास किया गया ।
· अमृता बाजार पत्रिका जैसे पत्रों ने अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं में राष्ट्रवादी विचारों का प्रसार किया ।

📻 5. 20वीं सदी: स्वतंत्रता संग्राम और मीडिया का विस्तार

20वीं सदी में पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई:

· 1927: भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई ।
· 1959: दूरदर्शन की शुरुआत हुई, जिसने 1965 में पहला समाचार बुलेटिन प्रसारित किया ।
· 1990 के दशक: उदारीकरण के बाद निजी समाचार चैनलों और डिजिटल मीडिया का तेजी से विकास हुआ ।

📊 भारत में पत्रकारिता के विकास की मुख्य घटनाएँ:

वर्ष घटना विवरण
1780 बंगाल गजट का प्रकाशन जेम्स ऑगस्टस हिकी द्वारा पहले अंग्रेजी समाचार पत्र का प्रकाशन 
1821 संवाद कौमुदी राजा राममोहन राय द्वारा पहले बांग्ला दैनिक का प्रकाशन 
1822 मुंबई समाचार एशिया का सबसे पुराना गुजराती समाचार पत्र 
1826 उदंत मार्तंड हिंदी का पहला समाचार पत्र 
1878 वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट भारतीय भाषाओं के प्रेस पर प्रतिबंध 
1927 रेडियो प्रसारण भारत में पहला रेडियो समाचार प्रसारण 
1965 टीवी समाचार दूरदर्शन पर पहला समाचार बुलेटिन 
1998 24/7 समाचार चैनल भारत में पहला 24 घंटे का समाचार चैनल 

💡 6. भारतीय पत्रकारिता का वर्तमान परिदृश्य

आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा समाचार पत्र बाजार है, जहाँ 100 मिलियन से अधिक प्रतियाँ प्रतिदिन बिकती हैं । हिंदी और regional भाषाओं के समाचार पत्रों का पाठक वर्ग तेजी से बढ़ रहा है। डिजिटल मीडिया ने पत्रकारिता को और भी व्यापक बना दिया है, लेकिन फेक न्यूज और सेंसरशिप जैसी चुनौतियाँ भी सामने आई हैं ।

🏛️ 7. पत्रकारिता और लोकतंत्र

भारत में पत्रकारिता ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत भारतीय पत्रकारिता को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, हालाँकि अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर कुछ reasonable प्रतिबंध लगाए गए हैं । पत्रकारिता ने सामाजिक बदलाव, जनजागरण और सरकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

📈 निष्कर्ष

भारत में पत्रकारिता का आरंभ एक छोटे साप्ताहिक अखबार से हुआ, लेकिन आज यह एक विशाल और बहुआयामी उद्योग बन चुका है। इसने colonial दमन, सामाजिक बदलाव और technological क्रांति के कई दौर देखे हैं। भारतीय पत्रकारिता ने हमेशा से ही लोकतंत्र और जनता के हितों की रक्षा की है, और आगे भी इसके विकास और प्रभाव की संभावनाएँ व्यापक हैं।

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