पत्रकारिता स्वरूप और विकास स्पष्ट कीजिए
निश्चित रूप से। पत्रकारिता का स्वरूप और उसका विकास एक गतिशील और बहुआयामी विषय है। आइए इसे स्पष्ट रूप से समझते हैं।
पत्रकारिता का स्वरूप (Nature of Journalism)
पत्रकारिता का स्वरूप उसके उद्देश्यों, कार्यों, सिद्धांतों और विभिन्न रूपों से निर्धारित होता है। यह केवल समाचार एकत्र करना और प्रसारित करना नहीं है, बल्कि एक जिम्मेदार सामाजिक प्रक्रिया है।
1. उद्देश्य एवं कार्य:
· सूचना देना: समाज में हो रही घटनाओं, नीतियों और विकास के बारे में निष्पक्ष और तथ्यात्मक जानकारी देना प्राथमिक कार्य है।
· शिक्षित करना: जटिल मुद्दों (जैसे आर्थिक नीतियां, विज्ञान, तकनीक) को सरल भाषा में समझाकर जनता को शिक्षित करना।
· मनोरंजन करना: खेल, संस्कृति, कला और मनोरंजन से जुड़ी सामग्री प्रदान करना।
· जनमत निर्माण: समाज में महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस छेड़कर और विभिन्न पक्षों को प्रस्तुत करके एक सार्थक जनमत तैयार करना।
· लोकतंत्र का चौथा स्तंभ: सरकार और प्रशासन के कार्यों पर नज़र रखना (Watchdog Role) और उनकी जवाबदेही तय करना। यह पत्रकारिता का सबसे महत्वपूर्ण स्वरूप है।
2. मुख्य सिद्धांत:
· शुद्धता और निष्पक्षता: तथ्यों की शुद्धता और घटना के सभी पक्षों को बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रस्तुत करना।
· मानवता: रिपोर्टिंग करते समय मानवीय मूल्यों और प्रभावित लोगों की भावनाओं का ध्यान रखना।
· जवाबदेही: अपनी गलतियों को स्वीकार करना और उन्हें सुधारना। समाज के प्रति जवाबदेह होना।
3. विभिन्न रूप (Types of Journalism): आज पत्रकारिताके कई रूप हैं, जैसे:
· खोजपरक पत्रकारिता: गहन शोध और जांच के माध्यम से छिपे हुए सत्य को उजागर करना।
· डेटा पत्रकारिता: आंकड़ों के विश्लेषण और विज़ुअलाइजेशन के जरिए समाचारों को प्रस्तुत करना।
· नागरिक पत्रकारिता: आम नागरिकों द्वारा स्मार्टफोन और इंटरनेट के माध्यम से समाचारों का प्रसारण।
· विशेषज्ञता आधारित पत्रकारिता: किसी विशेष क्षेत्र (जैसे राजनीति, पर्यावरण, विज्ञान) में विशेषज्ञता के साथ रिपोर्टिंग करना।
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पत्रकारिता का विकास (Evolution of Journalism)
पत्रकारिता के विकास को तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक बदलावों के आधार पर कई चरणों में बांटा जा सकता है।
1. प्रारंभिक अवस्था:
· मौखिक परंपरा: प्राचीन काल में खबरें मौखिक रूप से, भाटों, चारणों और यात्रियों के माध्यम से फैलती थीं।
· लिखित समाचार: रोमन साम्राज्य में 'Acta Diurna' (दैनिक कार्यवृत्त) नाम का शाही बुलेटिन पत्थर या धातु की पट्टियों पर उकेरकर प्रदर्शित किया जाता था।
· हस्तलिखित समाचार-पत्र: मुगल काल और मध्ययुगीन यूरोप में 'अखबारात' या 'न्यूज लेटर्स' हाथ से लिखकर संभ्रांत वर्ग तक पहुंचाए जाते थे।
2. मुद्रण क्रांति और समाचार-पत्रों का युग:
· पहला मुद्रित समाचार-पत्र: 1605 में जर्मनी में 'रिलेशन' को पहला नियमित समाचार-पत्र माना जाता है।
· भारत में प्रारंभ: 1780 में जेम्स ऑगस्टस हिकी ने 'बंगाल गजट' या 'द ओरिजनल कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर' नामक पहला अंग्रेजी समाचार-पत्र शुरू किया। भारतीय भाषाओं में 1822 में 'उदन्त मार्तण्ड' (हिंदी) का प्रकाशन शुरू हुआ।
· विकास: इस दौरान पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रवादी विचारों का प्रसार और सामाजिक सुधार (जैसे राजा राममोहन राय के 'संवाद कौमुदी' द्वारा सती प्रथा के विरोध) था।
3. रेडियो और टेलीविजन का युग:
· 20वीं सदी की शुरुआत में रेडियो के आविष्कार ने समाचारों के त्वरित और सीधे प्रसारण में क्रांति ला दी। यह जनसंचार का शक्तिशाली माध्यम बना।
· 1950 के बाद टेलीविजन के प्रसार ने समाचारों को दृश्य-श्रव्य बना दिया। लोगों के लिए घटनाओं को सीधे अपनी आंखों से देखना संभव हो गया।
· 24x7 न्यूज़ चैनलों (जैसे भारत में 1990 के दशक के बाद) ने समाचारों को लगातार और तात्कालिक बना दिया।
4. डिजिटल युग और ऑनलाइन पत्रकारिता:
· इंटरनेट के उदय ने पत्रकारिता के स्वरूप को मौलिक रूप से बदल दिया।
· तात्कालिकता: खबरें अब सेकंडों में दुनिया के किसी भी कोने में पहुंच जाती हैं।
· पारस्परिकता: पाठक अब पत्रकारिता की प्रक्रिया का हिस्सा हैं। वे टिप्पणियाँ कर सकते हैं, सामग्री साझा कर सकते हैं और सीधे संवाद कर सकते हैं।
· मल्टीमीडिया: अब पत्रकारिता केवल टेक्स्ट तक सीमित नहीं है। इसमें वीडियो, ऑडियो, इंटरएक्टिव ग्राफिक्स और सोशल मीडिया का एकीकरण शामिल है।
· चुनौतियाँ: 'क्लिकबेट' जर्नलिज्म, 'फेक न्यूज' का प्रसार, और पारंपरिक अखबारों की आर्थिक चुनौतियाँ इस युग की प्रमुख समस्याएं हैं।
निष्कर्ष:
पत्रकारिता का स्वरूप एक स्थिर इकाई न होकर एक गतिशील प्रक्रिया है जो तकनीक और समाज के साथ लगातार विकसित हो रही है। इसने मौखिक परंपरा से लेकर मुद्रण, रेडियो, टेलीविजन होते हुए अब डिजिटल युग में प्रवेश किया है। हालांकि माध्यम और गति बदल गई है, लेकिन पत्रकारिता का मूल उद्देश्य—निष्पक्ष रूप से सत्य को समाज के सामने लाना और लोकतंत्र को मजबूत करना—आज भी उतना ही प्रासंगिक और महत्वपूर्ण बना हुआ है।
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