हिंदी साहित्य मंडल द्वारा आयोजित व्याख्यान डॉ पंडित बन्ने विषय -संत कबीर का भक्ति साहित्य
हिंदी साहित्य मंडल संगमेश्वर महाविद्यालय द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान में डॉक्टर पंडित बन्ने जी ने संत कबीर का भक्ति साहित्य इस विषय पर विस्तार पूर्वक विवेचन किया इस समारोह के अध्यक्ष उप प्रधानाचार्य डॉक्टर सुहास पुजारी थे आरंभ में हिंदी विभाग प्रमुख डॉ संघ प्रकाश दुड्डे ने स्वागत और प्रस्तावित किया आरंभ में गायत्री मैत्रे ने अतिथि का परिचय करके दिया अतिथि का स्वागत और सम्मान होने के पश्चात प्रमुख अतिथि डॉ पंडित बन्ने ने अपने व्याख्यान में कहा कि संत कबीर की भक्ति भावना ज्ञान श्री शाखा से आरंभ होकर राम भक्त और निर्गुण भक्ति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है उनका भक्ति का साहित्य साहित्य नहीं केवल मनुष्यता का विकास करने हेतु जीवन का एक अनमोल संदेश है इस व्याख्यान में उन्होंने कबीर की विचारधारा को रेखांकित करने का प्रयास किया कबीर की भक्ति ईश्वर की भक्ति निर्गुण निराकार साकार रूप लेकर वह एक अलौकिक रूप धारण करती है जिसके द्वारा हम भक्त की विचारधारा को आगे ले जा सकते हैं कबीर के दोहों में मनुष्यता का विकास मनुष्यता की विचारधारा और जाति-पाति पूछो नहीं कोई हरि को बजे सो हरि का हुई साथ ही साथ चल कर सो आज कर आज करे सो अब पल भर में प्रलय आएगा बाहरी करेगा कब गुरु शिष्य की महिमा गुरु गोविंद डाउ खड़े काके लागू पे बलिहारी जो गोविंद देव बात जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान मल करो तलवार का पड़ा रहने दो मैं साइन इतना दीजिए जाने कुटुंब समाए मैं भी भूखा ना रहूं साधु न भूखा जा आदि दोहों के द्वारा कबीर की सामाजिक विचारधारा कबीर का बंधुत्व भाव कबीर का हिंदू मुस्लिम एकता का संदेश उन्होंने अपने व्याख्यान के द्वारा प्रकट किया कबीर विद्रोह और समानता का भाव लेकर अपने शब्दों के द्वारा तीखा व्यंग करते हैं वह किसी को भी नहीं छोड़ते हुए हिंदू को भी नहीं छोड़ते और मुस्लिम को भी नहीं छोड़ते व्रत वह कल्या भाई आडंबर का व्यक्ति का विरोध करते हैं जो उन्हें अच्छा नहीं लगता उसके बारे में व्यक्ति की वाणी बोलते हैं इस प्रकार के अनमोल विचार उन्होंने अपने व्याख्यान के द्वारा स्पष्ट किया इस समारोह में अध्यक्षता के रूप में डॉक्टर सुहास पुजारी ने अपनी बात रखी और संत कबीर और अन्य संतों की विचारधारा मनुष्यता के विकास के लिए किस प्रकार से आवश्यक है आज भी उनकी विचारधारा किस प्रकार से प्रासंगिक है इस प्रकार का अवलोकन उन्होंने किया सूत्रसंचालन दीपाली माने किया आभार प्रकटन प्रतिभा वलेकर ने किया इस समारोह में बहुसंख्या से विद्यार्थी उपस्थित थे डॉक्टर दादा साहब खांडेकर ,डॉ सारिपुत्र तुपेरे आदि प्राध्यापक इस समारोह में उपस्थित थे
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