भाषा के विविध रूप उनकी विशेषताएं और समाज पर प्रभाव

*भाषा के विविध रूप, उनकी विशेषताएँ और समाज पर प्रभाव**भाषा मानव समाज की सबसे महत्वपूर्ण संचार प्रणाली है। यह स्थान, काल, संस्कृति और सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार विविध रूप धारण करती है। भाषा के विभिन्न रूपों के कारण उसमें निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं, जिसका प्रभाव लोकजीवन पर भी पड़ता है। 1. भाषा के विविध रूप एवं उनकी विशेषताएँ**  
भाषा के प्रमुख रूप निम्नलिखित हैं:  *(क) मानक भाषा (Standard Language)**  यह भाषा का वह रूप है जो शिक्षा, साहित्य, प्रशासन और मीडिया में प्रयुक्त होता है।  इसका व्याकरण और उच्चारण निश्चित होता है।  
- उदाहरण: हिंदी का खड़ी बोली रूप (जैसे दिल्ली की हिंदी)।  *(ख) बोली (Dialect)**  
- यह किसी विशेष क्षेत्र या समुदाय द्वारा बोला जाने वाला भाषा रूप है।  
- इसमें शब्दावली, उच्चारण और व्याकरण में विविधता होती है।  - उदाहरण: ब्रजभाषा, अवधी, भोजपुरी आदि।  (ग) उपभाषा (Sub-dialect)**  
- बोली का ही स्थानीय रूप, जो छोटे क्षेत्र तक सीमित होता है।  - उदाहरण: पूर्वी उत्तर प्रदेश की हिंदी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हिंदी में अंतर।  
*(घ) पिजिन एवं क्रियोल (Pidgin & Creole)**  
- **पिजिन**: दो भिन्न भाषाओं के मिश्रण से बनी सरल भाषा (जैसे हिंग्लिश)।  *क्रियोल**: जब पिजिन किसी समुदाय की मातृभाषा बन जाती है (जैसे कैरिबियन क्रियोल)।  *(ङ) आदर्श भाषा (Register)**  
- विशेष स्थितियों में प्रयुक्त भाषा (जैसे धार्मिक भाषा, कानूनी भाषा आदि)।  *2. भाषा में परिवर्तन के कारण**  भाषा में परिवर्तन निम्न कारणों से होता है:  
1. **सांस्कृतिक संपर्क**: विभिन्न संस्कृतियों के मिश्रण से नए शब्द और व्याकरणिक परिवर्तन आते हैं।  
2. **प्रौद्योगिकी का प्रभाव**: इंटरनेट, सोशल मीडिया और नई तकनीकों से भाषा में बदलाव (जैसे "ट्वीट", "लाइक")।  3. **सामाजिक परिवर्तन**: जाति, वर्ग और लिंग के आधार पर भाषा में अंतर आता है।  
4. **भौगोलिक प्रभाव**: पर्यावरण और जलवायु के अनुसार भाषा में बदलाव (जैसे पर्वतीय क्षेत्रों की बोलियाँ)।  5. **ऐतिहासिक प्रभाव**: विदेशी आक्रमणों और औपनिवेशिक शासन से भाषा प्रभावित होती है (जैसे हिंदी में अंग्रेजी और फारसी शब्द)।  
*3. भाषा परिवर्तन का लोकजीवन पर प्रभाव**  
1. **सामाजिक एकीकरण**: मानक भाषा से विभिन्न समुदायों के बीच संवाद सुगम होता है।  
2. **सांस्कृतिक पहचान**: बोलियाँ स्थानीय संस्कृति को बचाए रखती हैं।  
3. **रोजगार के अवसर**: बहुभाषिक लोगों को नौकरी में लाभ मिलता है।  
4. **साहित्यिक विविधता**: विभिन्न बोलियों में साहित्य रचना से संस्कृति समृद्ध होती है।  
5. **भाषा का लुप्त होना**: यदि बोलियों को संरक्षण न मिले, तो सांस्कृतिक विविधता खत्म हो सकती है।  
*4. विविध भाषा रूपों के लाभ**  
1. **बहुभाषिकता से मानसिक लाभ**: एक से अधिक भाषाएँ सीखने से दिमाग तेज होता है।  
2. **सांस्कृतिक समझ**: विभिन्न भाषाएँ सीखने से अन्य संस्कृतियों के प्रति सम्मान बढ़ता है।  
3. **व्यापारिक लाभ**: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुभाषिक लोगों की माँग अधिक होती है।  
4. **शैक्षणिक उन्नति**: विविध भाषाओं का ज्ञान शोध और शिक्षा में मदद करता है।  *5. भाषा परिवर्तन के सिद्धांत**  1. **ऐतिहासिक भाषाविज्ञान का सिद्धांत**: भाषा धीरे-धीरे बदलती है (जैसे संस्कृत से हिंदी का विकास)।  2. **समाजभाषाविज्ञान सिद्धांत**: सामाजिक परिस्थितियाँ भाषा को प्रभावित करती हैं।  
3. **संरचनात्मक सिद्धांत**: भाषा अपने आंतरिक नियमों के अनुसार बदलती है।  
4. **प्रसार सिद्धांत**: नए शब्द और भाषा रूप एक समुदाय से दूसरे में फैलते हैं।  
*निष्कर्ष**  भाषा का विविध रूपों में होना मानव समाज की समृद्धि का प्रतीक है। भाषा परिवर्तन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी विकास से प्रभावित होती है। विविध भाषा रूपों के कारण संचार, शिक्षा और सांस्कृतिक पहचान मजबूत होती है, लेकिन इन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता भी है। वीडियो अच्छा लगा तो सब्सक्राइब कीजिए शेयर कीजिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा दीजिए

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