ओशो का संपूर्ण जीवन परिचय दर्शन एवं आध्यात्मिक योगदान
## **ओशो का सम्पूर्ण जीवन परिचय, दर्शन एवं आध्यात्मिक योगदान**
### **1. ओशो का जीवन परिचय (Biography of Osho)**
- **जन्म:** 11 दिसंबर 1931, कुचवाड़ा (मध्य प्रदेश)
- **मूल नाम:** चंद्रमोहन जैन ("आचार्य रजनीश" और बाद में "ओशो" नाम धारण किया)
- **शिक्षा:** दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर (जबलपुर विश्वविद्यालय)
- **कार्यक्षेत्र:** प्रोफेसर, आध्यात्मिक गुरु, लेखक
- **निधन:** 19 जनवरी 1990 (पुणे)
### **2. ओशो की विचारधारा एवं दार्शनिक परंपरा**
ओशो ने **"जीवन को पूर्णतः जीने"** पर बल दिया। उनके दर्शन की मुख्य विशेषताएँ:
#### **क) प्रमुख सिद्धांत:**
1. **संगठित धर्म का विरोध:** उनका मानना था कि धर्मों ने मनुष्य को बाँट दिया है।
2. **कामुकता को स्वीकार:** उन्होंने सेक्स को दमित करने के बजाय उसे समझने की बात कही।
3. **व्यक्तिगत स्वतंत्रता:** "तुम्हारी सच्ची आजादी भीतर है, बाहर नहीं।"
4. **जीवन का उत्सव:** "जीवन को गंभीरता से नहीं, उत्सव की तरह जियो।"
#### **ख) प्रभावित महापुरुष एवं ग्रंथ:**
- **गौतम बुद्ध, कृष्ण, जीसस, लाओत्से** से प्रभावित थे।
- **प्रिय ग्रंथ:**
- *"लस्ट फॉर लाइफ"* (विन्सेंट वान गॉग पर)
- *"माइ एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ"* (महात्मा गांधी)
- *"दि बुक ऑफ सीक्रेट्स"* (तंत्र पर आधारित)
### **3. ओशो के सिद्धांतों में परिवर्तन**
- **1960-70:** भारतीय दर्शन पर जोर, गांधीवाद की आलोचना।
- **1970-80:** पश्चिमी मनोविज्ञान (फ्रॉयड, रैक) को सम्मिलित किया।
- **1980 के बाद:** "ओशो" नाम अपनाया, ध्यान पर विशेष फोकस।
### **4. अमेरिका से भारत वापसी का कारण**
- **1981 में अमेरिका (ऑरेगन) में आश्रम बनाया**, लेकिन सरकार से टकराव हुआ।
- **1985 में उन्हें गिरफ्तार किया गया** (आरोप: अवैध आप्रवासन)।
- **21 देशों ने प्रवेश से इनकार किया**, अंततः **1987 में भारत लौटे** और पुणे में आश्रम स्थापित किया।
### **5. पुणे स्थित ओशो आश्रम के कार्यक्रम**
**(Osho International Meditation Resort, Pune)**
- **ध्यान शिविर:** डायनमिक मेडिटेशन, कुंडलिनी मेडिटेशन।
- **योग एवं चिकित्सा कार्यक्रम:** शरीर-मन संतुलन पर कार्यशालाएँ।
- **प्रवचन सत्र:** ओशो के ऑडियो/वीडियो संदेशों पर चर्चा।
- **क्रिएटिव एक्टिविटीज:** नृत्य, संगीत, कला के माध्यम से आत्म-अभिव्यक्ति।
### **6. ओशो ध्यान की प्रमुख विधियाँ (Osho Meditation Techniques)**
ओशो ने पारंपरिक ध्यान को आधुनिक मन के अनुकूल बनाया।
| **ध्यान प्रकार** | **विशेषता** |
|-------------------------|-------------|
| **1. डायनमिक मेडिटेशन** | 5 चरणों में (क्रोध मुक्ति → नृत्य → मौन)। |
| **2. कुंडलिनी मेडिटेशन** | शरीर को हिलाकर ऊर्जा जगाना। |
| **3. नादब्रह्म ध्यान** | संगीत और मंत्रों के माध्यम से ध्यान। |
| **4. विपश्यना (साक्षी भाव)** | विचारों को बिना जज किए देखना। |
| **5. गोरखनाथ ध्यान** | श्वास तकनीक और मंत्र का प्रयोग। |
### **7. ओशो आंदोलन का उद्देश्य**
- **"नए मनुष्य"** का निर्माण करना, जो **भयमुक्त, प्रेमपूर्ण और जागरूक** हो।
- **ध्यान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार** को प्रोत्साहित करना।
- **धर्म, राष्ट्र और राजनीति से मुक्त** एक वैश्विक चेतना का विकास।
### **निष्कर्ष:**
ओशो ने **पारंपरिक आध्यात्मिकता को आधुनिक संदर्भ में पेश किया**। उनका मुख्य संदेश था—**"जागो, प्रेम करो, ध्यान करो और जीवन को पूरी तरह जियो।"** आज भी उनके विचार दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं।
Comments
Post a Comment